ध्वनि प्रदूषण भी दिल की सेहत को बिगाड़ता है। तेजी से बढ़ता शोर हार्ट के लिए दिक्कतें बढ़ा रहा है। यूरोपियन हार्ट जर्नल में पब्लिश रिसर्च कहती है, लम्बे समय तक ट्रैफिक के शोर के बीच रहने से हृदय रोगों का खतरा बढ़ता है।
500 लोगों पर 5 साल तक हुई स्टडी
ट्रैफिक और हवाई जहाज से होने वाले शोर का असर जानने के लिए सड़क और एयरपोर्ट के किनारे रहने वाले लोगों पर 5 साल तक रिसर्च की गई। रिसर्च में 500 लोगों को शामिल किया गया। शोधकर्ताओं ने पाया कि औसतन 24 घंटे में शोर का स्तर 5 डेसिबल बढ़ाने पर हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा 35 फीसदी तक बढ़ जाता है।
ऐसा क्यों होता है, अब ये समझिए
रिसर्च में शामिल लोगों पर शोर का क्या असर पड़ रहा है, इसे समझने के लिए उनकी ब्रेन स्कैनिंग की गई। रिपोर्ट में सामने आया कि शोर बढ़ने पर उनके ब्रेन के उस हिस्से पर बुरा असर पड़ा है जो तनाव, बेचैनी और डर को कंट्रोल करने के लिए जिम्मेदार होता है।
जब तनाव और बेचैनी बढ़ती है तो शरीर इनसे लड़ने के लिए एड्रिनेलिन और कॉर्टिसोल जैसे स्ट्रेस हार्मोन रिलीज करता है। तनाव और बेचैनी की स्थिति में ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है, पाचन क्षमता कम हो जाती है। शरीर में फैट और शुगर का सर्कुलेशन तेज हो जाता है। इसका असर हार्ट पर पड़ता है।
नई रिसर्च कहती है, अधिक शोर होने पर धमनियों में सूजन भी आई। इससे दिल पर दबाव और बढ़ा। रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक, ध्वनि प्रदूषण नींद पर भी बुरा असर डालता है। रात में प्लेन के कारण होने वाले शोर से मेटाबॉलिज्म पर भी बुरा असर पड़ता है।
इतना होना चाहिए ध्वनि का स्तर
ध्वनि यानी साउंड को डेसिबल में मापा जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, 55 डेसिबल से अधिक ध्वनि का स्तर शोर पैदा करता है और सेहत को नुकसान पहुंचाता है। कार और ट्रक से करीब 70 से 90 डेसिबल तक शोर होता है। वहीं, सायरन और हवाई जहाज से 120 डेसिबल या इससे अधिक ध्वनि प्रदूषण होता है।
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