अक्सर मांएं अपने टीनएजर बच्चों से परेशान रहती हैं, जो उनकी बात नहीं सुनते। मां को लगता है कि जो बच्चा बचपन से उसकी हर बात को ‘पत्थर की लकीर’ समझता आ रहा था, अचानक उसे क्या हो गया। यदि आप भी यही सोचती हैं तो इसके लिए अपने बच्चे को दोष न दें।
हाल ही में स्टैनफोर्ड स्कूल ऑफ मेडिसिन के वैज्ञानिकों ने टीनएजर्स के दिमाग पर एक रिसर्च की है, जिससे पता चलता है कि कुछ आवाजों के प्रति हमारी प्रतिक्रिया स्वाभाविक रूप से समय के साथ बदल जाती है। इसी वजह से टीनएजर्स को मां की आवाज कम महत्वपूर्ण लगने लगती है।
13 की उम्र के बाद दिमाग में बदलाव आता है
शोध के दौरान 12 और उससे कम उम्र के बच्चों के दिमाग की स्कैनिंग की गई, तो उसमें मां की आवाज पर बेहतर न्यूरोलॉजिकल प्रतिक्रिया दिखाई दी। इस उम्र में दिमाग में भावना बढ़ाने वाले केंद्र सक्रिय हो जाते हैं। हालांकि 13 की उम्र के बाद उसमें बदलाव आने लगता है। इस उम्र में दिमाग में मां की आवाज से वैसी न्यूरोलॉजिकल प्रतिक्रिया नहीं होती। इसके बजाय, टीनएजर्स के मस्तिष्क में अन्य सभी आवाजों के प्रति अधिक प्रतिक्रिया दिखाई देती है, चाहे वह नई हो या पहचानी हुई हो।
ये बदलाव इतने स्पष्ट थे कि शोधकर्ता सिर्फ इसी आधार पर बच्चे की उम्र का अनुमान लगाने में सक्षम थे। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के मनोचिकित्सक डेनियल अब्राम्स कहते हैं, ‘जिस तरह मां की आवाज से छोटा बच्चा लय बैठा लेता है, उसी तरह टीनएजर्स अनूठी आवाजों से लय बैठा लेते हैं। एक टीनएजर के रूप में आप नहीं जानते कि आप यह कर रहे हैं। आपको दोस्त और नए साथी मिलते हैं और आप उनके साथ समय बिताना चाहते हैं। आपका मन अंजान आवाजों के प्रति ज्यादा संवेदनशील और आकर्षित होता जाता है।’
परिवार से अलग-थलग होने में टीनएजर्स का दोष नहीं
दूसरे शब्दों में, टीनएजर्स जानबूझकर अपने परिवार से अलग-थलग नहीं होते, बल्कि उनका दिमाग परिपक्व हो रहा होता है। छोटे बच्चे के लिए मां की आवाज उसके स्वास्थ्य और विकास में अहम भूमिका निभाती है। यह उसके तनाव, सामाजिक जुड़ाव और बातचीत की प्रक्रिया को प्रभावित करती है। न्यूरोसाइंटिस्ट विनोद मेनन कहते हैं, ‘टीनएजर्स अपने माता-पिता की बात न सुनकर विद्रोह करते दिखाई देते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उनका दिमाग घर के बाहर की आवाजों पर ज्यादा ध्यान देने के लिए तैयार हो चुका होता है।'
बच्चा उम्र के एक पड़ाव पर स्वतंत्र हो जाता है
न्यूरोसाइंस जर्नल में प्रकाशित इस शोध के नतीजे बताते हैं कि उम्र बढ़ने के साथ हम मां की आवाज पर कम गौर करने लगते हैं। मेनन कहते हैं, ‘एक बच्चा उम्र के एक पड़ाव पर स्वतंत्र हो जाता है। ऐसा बायोलॉजिकल सिग्नल्स के कारण होता है। टीनएज अवस्था में वह परिवार के बाहर सामाजिक रूप से जुड़ने लगता है।’
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.