दुनिया में कोरोना महामारी से अब तक 51 करोड़ से ज्यादा लोग बीमार हो चुके हैं और लगभग 62.5 लाख लोगों की जान जा चुकी है। इसी बीच वैज्ञानिक यह पता लगाने में लगे हुए हैं कि आखिर क्यों कुछ लोग कोरोना से दूसरों के मुकाबले ज्यादा बीमार होते हैं। अमेरिका की बोस्टन यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने एक हालिया रिसर्च में इसका जवाब दिया है। उनका कहना है कि इसके पीछे मैक्रोफेगस नाम के इम्यून सेल्स का हाथ है। रिसर्च को सेल रिपोर्ट्स जर्नल में प्रकाशित किया गया है।
शरीर में मैक्रोफेगस सेल्स का रोल
मैक्रोफेगस एक प्रकार के व्हाइट ब्लड सेल्स (सफेद रक्त कोशिकाएं) होते हैं, जो हमारे इम्यून सिस्टम की सुरक्षा कर शरीर के घाव भरते हैं। इसके साथ ही ये वायरस, बैक्टीरिया और डेड सेल्स जैसी बाहरी चीजों को पचा जाते हैं, ताकि शरीर की इम्यूनिटी जस की तस रहे।
वैज्ञानिकों का मानना है कि कोरोना से हुई कई मौतों के लिए इम्यून सिस्टम की भारी गतिविधि जिम्मेदार है। यानी संक्रमण के दौरान मैक्रोफेगस केवल वायरस ही नहीं, बल्कि हमारे शरीर पर भी अटैक करता है, जिससे दिल और फेफड़े सूजन के कारण डैमेज हो जाते हैं।
मैक्रोफेगस सेल्स अच्छे भी, बुरे भी
रिसर्चर्स के मुताबिक, शरीर में कोरोना इन्फेक्शन पर इम्यून सिस्टम की प्रतिक्रिया को समझने के लिए उन्होंने एक मॉडल तैयार किया। इसके जरिए वैज्ञानिकों ने इंसानों के शरीर में कोरोना बीमारी की हर स्टेज को मॉनिटर किया।
रिसर्च में शामिल प्रोफेसर फ्लोरियन डोआम कहते हैं कि उन्होंने मरीजों के फेफड़ों में बहुत ही कम वायरस नोटिस किया। ये फेफड़े पूरी तरह सुरक्षित थे। इसका कारण मैक्रोफेगस हो सकते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि मैक्रोफेगस दो प्रकार के होते हैं। पहले- जो सही मात्रा में एंटी वायरल दवाओं पर सही प्रतिक्रिया देकर शरीर को सुरक्षित रखें और दूसरे- सूजन पैदा करके अंगों को डैमेज करें।
मैक्रोफेगस की सकारात्मक प्रतिक्रिया के पीछे 11 जीन
वैज्ञानिकों का मानना है कि मैक्रोफेगस सेल्स की सकारात्मक प्रतिक्रिया 11 जीन से जुड़ी है। इन जीन को सुरक्षा-परिभाषित जींस भी कहा जाता है। ये लोगों को कोरोना के सबसे गंभीर लक्षणों से बचाने का काम करते हैं। यानी, कोरोना से लड़ने में इनका बहुत बड़ा हाथ है। इसके अलावा, यह स्टडी बताती है कि मैक्रोफेगस फेफड़ों को सुरक्षित रखते हैं।
हालांकि, कोरोना के हर मरीज में मैक्रोफेगस सकारात्मक प्रतिक्रिया क्यों नहीं देते, इस टॉपिक पर अभी और रिसर्च की जरूरत है।
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