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  • Young Children Can Not Get Vaccinated Yet, But If The Rest Of The House Gets Vaccinated, Then Children Will Also Get Protection On Their Own.

भास्कर नॉलेज सीरीज:छोटे बच्चों को अभी टीका नहीं लग सकता, मगर घर के बाकी ने वैक्सीन लगवा ली तो बच्चों को भी खुद-ब-खुद सुरक्षा मिल जाएगी

2 वर्ष पहले
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  • छोटे बच्चों में संक्रमण के अब तक माइल्ड इन्फेक्शन केस ही सामने आए

कोरोनावायरस की दूसरी लहर में बच्चों में इन्फेक्शन के केस पहली लहर के मुकाबले ज्यादा हैं। इस पर दैनिक भास्कर के रवींद्र भजनी ने विशेषज्ञ से समझा कि बच्चों में संक्रमण के मामलों को रोकने के लिए क्या कदम उठाना जरूरी होगा और उन्हें वैक्सीन कब मिलेगी...

मां-बाप तय करें कि उनके बच्चे ऐसे परिवार के बच्चों के साथ खेलें जिसमें बड़ों ने वैक्सीन लगवा ली हो

  • 18 वर्ष से कम उम्र वालों को टीका नहीं लगेगा, लेकिन वे संक्रमित हो रहे हैं, बचाव कैसे होगा?

​​​​​​​भारत में टीकाकरण के तीसरे फेज में 18-45 वर्ष के वयस्कों को भी शामिल किया जा रहा है। भले ही बच्चों में इन्फेक्शन के केस बढ़ रहे हैं, पर हम उन्हें फिलहाल वैक्सीन नहीं दे सकते। इसकी बड़ी वजह यह है कि हमने बच्चों में वैक्सीन की इफेक्टिवनेस की जांच नहीं की है। हमारे पास और भी तरीके हैं। सबसे अच्छा तरीका होगा कि उन्हें हम इन्फेक्शन से दूर रखें। यह दो तरीके से हो सकता है। पहला, हम बच्चों के साथ रह रहे सभी वयस्कों को वैक्सीनेट कराएं। दूसरा, बच्चों को कोविड-19 के प्रोटोकॉल सिखाएं।

  • अमेरिका में 16 साल से ऊपर वालों के लिए अभी वैक्सीनेशन शुरू हुआ है। यह और नीचे की उम्र तक कब शुरू होने की उम्मीद है?

​​​​​​​वैक्सीन फिलहाल तो नहीं। इस समय जो वैक्सीन भारत में इस्तेमाल हो रही हैं, उनका बच्चों पर कोई ट्रायल नहीं हुआ है। दुनियाभर में कुछ क्लीनिकल ट्रायल्स चल रहे हैं, जिसमें बच्चों पर कोविड-19 वैक्सीन की इफेक्टिवनेस और सेफ्टी जांची जा रही है। जब तक ट्रायल्स पूरे नहीं हो जाते, यह वैक्सीन बच्चों के लिए पूरी तरह सुरक्षित और इफेक्टिव साबित नहीं होती, तब तक हमें इंतजार करना होगा। यह बार-बार दोहराना जरूरी है कि कोरोनावायरस का इन्फेक्शन सभी एज ग्रुप में हो रहा है। पर 50 वर्ष से ज्यादा एज ग्रुप के लोगों के लिए खतरा कई गुना बढ़ जाता है। बच्चों में इन्फेक्शन बिना किसी लक्षण वाले या माइल्ड इन्फेक्शन के तौर पर ही दिखा है।​​​​​​​

  • छोटे बच्चों की सेफ्टी का अलग प्रोटोकॉल है?

​​​​​​​नहीं। कोरोनावायरस सभी आयु समूहों को प्रभावित करता है और सभी के लिए यह जरूरी हो जाता है कि इससे बचने के लिए जो भी हो सकता है, वह जरूर करें। डब्ल्यूएचओ की सिफारिश कहती है कि पैरेंट्स को कोरोना से जुड़े व्यवहार का सख्ती से पालन करना होगा। बच्चों के लिए भी जरूरी है कि वे इन उपायों को अपनी दिनचर्या और आदत का हिस्सा बनाएं। पैरेंट्स को अपने बच्चों से बात करने और उनके सवालों का जवाब देने और उनके डर को कम करना चाहिए। यह भी तय करें कि उनके बच्चे ऐसे बच्चों के साथ खेलें जिनके परिवार में सभी वयस्कों ने वैक्सीन लगवाई हो और जो हमेशा कोरोना से बचने के उपायों का सख्ती से पालन करते हैं। और सबसे जरूरी बात है, फिजिकल डिस्टेंसिंग। परिवार के बाहर सुनिश्चित करें कि बच्चे और बड़े भी दूसरों से दूरी बनाए रखें।​​​​​​​

- डॉ. पवित्रा वेंकटगोपालन

वायरोलॉजिस्ट, पीएचडी (कोरोना वायरस) एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी