पालम विहार-बजघेड़ा रोड पर निर्माणाधीन फ्लाईओवर का काम लंबित होने और अत्यंत धीमी गति से चलने के कारण आसपास के हजारों परिवारों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। खुदाई होने से आवागमन पूरी तरह से बाधित है और लोगों का अपने ही घरों तक पहुंचना मुश्किल हो रहा है। इसके अलावा निर्माण को लेकर निर्माण स्थल और आसपास इतनी धुल और गंदगी हो चुकी है कि थोड़ी से हवा चलने पर सारी धूल उड़कर लोगों के घरों में पहुंच रही है। इसके कारण आसपास का पूरा वातावरण प्रदूषित हो रहा है। यहां रहने वाले नागरिकों का कहना है कि उन्हें श्वास से संबंधित बीमारियां हो रही हैं। फ्लाईओवर का निर्माण कार्य तेजी से कराने की बात तो दूर सड़क की सर्विस लेन का भी निर्माण नहीं कराया जा रहा है, ताकि लोगों को आवागमन की सुविधा वैकल्पिक रूप में मिल सके। सर्विस लेन इतनी संकरी और गड्ढे में तब्दील हो चुकी है कि गाड़ियां तक पलट जा रही हैं। बुधवार को उक्त सर्विस लेन से जाते समय एक ट्रक पलट गई। इन तमाम परेशानियों को लेकर आसपास रहे लोग काफी परेशान हैं और उन्होंने इसके खिलाफ विरोधी स्वर उठाने शुरू कर दिए हैं। निरीक्षण के दौरान नागरिकों ने इसके पीछे कंस्ट्रक्शन एजेंसी की लापरवाही करार देते हुए ठेकेदार की मनमानी पर घोर रोष व्यक्त किया।
सालभर में पूरा हुआ महज आधा काम
फ्लाईओवर के आसपास पालम विहार फेस-1 व 2, गुप्ता काॅलोनी के नागरिकों ने बताया कि निर्माण कार्य पिछले करीब सालभर से चल रहा है, लेकिन अब तक काम धीमी गति से चलने के कारण अब तक महज आधा काम ही पूरा हो पाया है। ऐसे में काम पूरा होने की निर्धारित अवधि करीब पांच महीने में काम पूरा होना काफी मुश्किल लग रहा है, जबकि अधिकारी दावा कर रहे हैं कि काम समय सीमा के अंदर पूरा हो जाएगा। फ्लाईओवर के लंबित कार्य को लेकर परेशान स्थानीय निवासी हरीश डंग, सोनू वालिया, मनमीत वालिया और दीपेंद्र जायसवाल से पूर्व डिप्टी मेयर परमिंदर कटारिया से गुहार लगाई। कटारिया मौके पर पहुंचे और स्थिति को देखते हुए अधिकारियों से फोन पर बातचीत की। इस मामले में पीडब्ल्यूडी के एक्सईएन नरेंद्र ने बताया कि उक्त फ्लाईओवर का निर्माण कार्य पूरा होने की तिथि नवंबर 2018 है। उम्मीद है कि इस तिथि के आसपास काम पूरा हो जाएगा। कटारिया ने एक्सईएन से कहा कि काम शीघ्र पूरा होना चाहिए और सर्विस लेन का निर्माण भी जल्द कराया जाए ताकि लोगों को परेशानी से मुक्ति मिल सकी। अन्यथा लोग आंदोलन करने को विवश होंगे और इसके लिए कार्यदायी विभागों के अधिकारी जिम्मेदार होंगे।