इंसान को कर्मानुसार मिलते है सुख-दुख: गुरनाम सिंह
दुनिया का हर प्राणी सुख चाहता है, हर प्रकार से दुख से बचने का प्रय| करता है। लेकिन उसके कर्म ही दुख-सुख का कारण बनते...
Bhaskar News Network | Last Modified - Apr 02, 2018, 02:15 AM IST
दुनिया का हर प्राणी सुख चाहता है, हर प्रकार से दुख से बचने का प्रय| करता है। लेकिन उसके कर्म ही दुख-सुख का कारण बनते हैं। यह विचार स्थानीय संत निरंकारी सत्संग भवन में रविवार को आयोजित साप्ताहिक सत्संग में जगाधरी के संचालक गुरनाम सिंह मान ने व्यक्त किए। सत्संग की शुरुआत पावन अवतारवाणी के शबद गायन से हुई। कार्यक्रम का मंच संचालन जयकुमार नारंग जी ने किया।
प्रवचन करते हुए गुरनाम सिंह ने कहा कि महाभारत में जब भीष्म पितामह बाणों की सईयां पर थे उन्होंने भगवान श्री कृष्ण से पूछा कि मैने अपने पिछले 100 जन्म देखे। पर उसमें ऐसा कोई कर्म नहीं, जिसकी वजह से ऐसा हुआ। तब भगवान श्री कृष्ण जी ने बताया कि 100 जन्मों से पूर्व के जन्म में वे राजा थे और कही जा रहे थे। तभी रास्ते में एक सांप रथ के सामने आ गया। तब राजा ने अपने तीर से सांप को उठाया और झाड़ियों में फेंक दिया, ताकि वो रथ के नीचे न आए। परंतु वो सांप नुकीली झाड़ियों पर जा गिरा और मृत्यु को प्राप्त हुआ। गुरनाम सिंह जी ने स्पष्ट किया कि जो भी हम करते है। हमारा कर्म बन जाता है और हम जो भी कर्म करते है। उसका फल हमें अवश्य मिलता है। अगर मनुष्य तु सुख लेना चाहता है तो इस परम पिता परमात्मा का ज्ञान हासिल कर लेे।
गुरनाम सिंह मान।
यमुनानगर | संत निरंकारी सत्संग भवन में साप्ताहिक सत्संग में उपस्थित संगत।
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गुरनाम सिंह मान।
यमुनानगर | संत निरंकारी सत्संग भवन में साप्ताहिक सत्संग में उपस्थित संगत।
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(News in Hindi from Dainik Bhaskar)
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