प्रशासन ने नहीं की कोई कार्रवाई,धनौरा एस्केप नदी में फैक्ट्रियाें से आ रहा पानी
गढ़ीबीरबल. धनौरा एस्केप नदी में जहरीले पानी को रोकने की मांग को लेकर नारेबाजी करते हुए ग्रामीण। भास्कर न्यूज | गढ़ी...
Bhaskar News Network | Last Modified - Apr 01, 2018, 02:25 AM IST
गढ़ीबीरबल. धनौरा एस्केप नदी में जहरीले पानी को रोकने की मांग को लेकर नारेबाजी करते हुए ग्रामीण।
भास्कर न्यूज | गढ़ी बीरबल
धनौरा एस्केप नदी में फैक्ट्रियों द्वारा छोड़े जा रहे रसायनयुक्त जहरीले पानी को रोकने की मांग को लेकर 21 व 25 मार्च को ग्रामीणों ने डबकौली के पास धनौरा एस्केप नदी पर एकत्रित होकर प्रदूषण विभाग व सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया था। ग्रामीणों ने चेतावनी दी थी कि गंदे पानी को बंद करने के लिए सरकार ने कोई उचित एक्शन नहीं लिया तो वे लोग नदी में मिट्टी डालकर बंद कर देंगे।
ग्रामीणों के आंदोलन को उग्र होते देख प्रशासन और सरकार हरकत में आई और 27 मार्च को चंड़ीगढ़ में एक मीटिंग ग्रामीणों के साथ हुई जिसके बाद सरकार ने इस पानी का स्थाई रूप से समाधान करने के लिए 6 महीने का समय और मांगा। साथ ही प्रशासनिक अधिकारियों को नदी में जहरीला पानी छोड़ने वाली फैक्ट्रियों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे, लेकिन पांच दिन गुजर जाने के बाद भी धनौरा एस्केप में जहरीला पानी छोड़ा जा रहा है। इसको लेकर ग्रामीण रानी, माया, सोमी, विमला, शीला, सीमा, बिमला, ओमपाल, कर्मबीर, रोहित, कामना, सोनिया, कमलेश, धर्मसिंह, सतपाल, श्रीचंद, चरण सिंह, सुमेरचंद आदि ने एस्केप नदी के किनारे एकत्रित होकर रोष प्रकट किया। वहीं ग्रामीणों ने बताया कि सरकार द्वारा स्वास्थ्य विभाग को धनौरा एस्केप के साथ लगते गांवों में लोगों की स्वास्थ्य जांच के लिए कैंप लगाने के आदेश दिए गए थे। लोगों के स्वास्थ्य की जांच करने के लिए डबकौली में शुक्रवार को डाॅक्टर आए थे। जिसकी सूचना ग्रामीणों को नहीं दी गई। डॉक्टर डेढ़ घंटे में ही वापस चले गए। इतना ही नहीं बीमार ग्रामीणों को बाहर से महंगी दवाइयां खरीदनी पड़ रही है।
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धनौरा एस्केप नदी में फैक्ट्रियों द्वारा छोड़े जा रहे रसायनयुक्त जहरीले पानी को रोकने की मांग को लेकर 21 व 25 मार्च को ग्रामीणों ने डबकौली के पास धनौरा एस्केप नदी पर एकत्रित होकर प्रदूषण विभाग व सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया था। ग्रामीणों ने चेतावनी दी थी कि गंदे पानी को बंद करने के लिए सरकार ने कोई उचित एक्शन नहीं लिया तो वे लोग नदी में मिट्टी डालकर बंद कर देंगे।
ग्रामीणों के आंदोलन को उग्र होते देख प्रशासन और सरकार हरकत में आई और 27 मार्च को चंड़ीगढ़ में एक मीटिंग ग्रामीणों के साथ हुई जिसके बाद सरकार ने इस पानी का स्थाई रूप से समाधान करने के लिए 6 महीने का समय और मांगा। साथ ही प्रशासनिक अधिकारियों को नदी में जहरीला पानी छोड़ने वाली फैक्ट्रियों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे, लेकिन पांच दिन गुजर जाने के बाद भी धनौरा एस्केप में जहरीला पानी छोड़ा जा रहा है। इसको लेकर ग्रामीण रानी, माया, सोमी, विमला, शीला, सीमा, बिमला, ओमपाल, कर्मबीर, रोहित, कामना, सोनिया, कमलेश, धर्मसिंह, सतपाल, श्रीचंद, चरण सिंह, सुमेरचंद आदि ने एस्केप नदी के किनारे एकत्रित होकर रोष प्रकट किया। वहीं ग्रामीणों ने बताया कि सरकार द्वारा स्वास्थ्य विभाग को धनौरा एस्केप के साथ लगते गांवों में लोगों की स्वास्थ्य जांच के लिए कैंप लगाने के आदेश दिए गए थे। लोगों के स्वास्थ्य की जांच करने के लिए डबकौली में शुक्रवार को डाॅक्टर आए थे। जिसकी सूचना ग्रामीणों को नहीं दी गई। डॉक्टर डेढ़ घंटे में ही वापस चले गए। इतना ही नहीं बीमार ग्रामीणों को बाहर से महंगी दवाइयां खरीदनी पड़ रही है।
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