पाएं अपने शहर की ताज़ा ख़बरें और फ्री ई-पेपर
Install AppAds से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप
पानीपत. कल-कल बहने वाली यमुना आज तिल-तिल कर मर रही है। यह सिर्फ एक नदी के मरने की कहानी नहीं, हमारे जीवन के संस्कारों और रीति रिवाजों की भी मौत है। आज नदी के असमय जाने से हमारे अपने मुक्ति को तरस रहे हैं। यहां अब नदी किनारे अंतिम संस्कार के कर्म भी पूरे नहीं हो पा रहे। बेबसी ऐसी है कि शव जलाने के बाद लोग अस्थियों को रेत में दबा रहे हैं, ताकि दो महीने बाद जब यमुना में जल आए तो हमारे अपनों के अवशेष खुद नदी में मिल जाएं, लेकिन जब तक यह सूखी और बेजान है, तब तक पितरों को मुक्ति नसीब नहीं होगी।
5 मई से ही थम गया प्रवाह
अपने पिता का संस्कार कर रहे प्रविंद्र कहते हैं कि 5 मई को ही यमुना (कालिंदी) का पानी खत्म हो गया था। लेकिन अब स्थिति भयावह हो गई। पानी के नाम पर कीचड़ ही शेष है। अब यहां पिता की अंतिम इच्छा भी पूरी नहीं हाे पाएगी। अवशेष को हम कहीं लेकर भी नहीं जा सकते। इसलिए इसे यहीं मिट्टी में ढंकने की कोशिश करेंगे। जब बारिश होगी, तब अवशेष स्वयं यमुना में मिल जाएंगे।
यमुना में ही क्यों?
पंडित अखिलेश्वर शुक्ल का कहना है कि यमुना से हमारा गहरा नाता है। यमुना ही प्रयाग में गंगा में मिलती है। इसलिए यमुना किनारे स्थित गांवों में मान्यता व परंपरा के चलते लाेग यहां पर ही अपने प्रियजनों का अंतिम संस्कार करते हैं। वे मानते हैं कि यमुना के गंगा में मिलने से उनके परिजनों की अस्थियां गंगा में पहुंचती हैं और वे समस्त पापों से भी मुक्ति पा लेते हैं।
करीब 125 किलोमीटर तक नदी रेगिस्तान-सी हो गई है
- हथिनीकुंड बैराज से निकलते ही यमुना नाले में तब्दील हो जाती है। जैसे-तैसे 10 किलोमीटर की यात्रा कर यमुनानगर को पार करती है।
- हालात ये हैं कि करनाल, पानीपत और सोनीपत में नदी पूरी तरह सूख चुकी है। करीब 125 किलोमीटर तक नदी रेगिस्तान-सी हो गई है। कहीं-कहीं गड्ढों में थोड़ा जल है, पर दूषित और काला। स्नान तो दूर उसमें आचमन भी संभव नहीं है।
यमुना में बहाव के लिए 1800 क्यूसेक पानी की जरूरत
- यमुना सिर्फ हथिनीकुंड बैराज तक ही निर्बाध है। अभी बैराज में प्रतिदिन करीब 1348 क्यूसेक पानी ही आ रहा है। यहां से मुनक नहर में दिल्ली के लिए 881 क्यूसेक पानी डाला जाता है।
- 352 क्यूसेक पानी यमुना में छोड़ा जाता है। बाकी 115 क्यूसेक पानी ही हरियाणा के हिस्से आता है।
यमुना सूखने के बड़े कारण
- प्राकृ़तिक स्रोत घटने से नदी को पानी नहीं मिल रहा।
- अप्रैल-मई में 20 पश्चिमी विक्षोभ आए। औसतन ये महीने में 4-5 ही होते हैं। इससे तापमान कम रहने से बर्फ कम पिघली अौर पहाड़ों से नदी में पानी कम आया।
- अवैध खनन की वजह से यमुना में बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं और वे नदी की धारा को रोक रहे हैं।
भास्कर विचार: आखिर ऐसी बेबसी क्यों?
- लुप्त हो चुकी सरस्वती की धारा को तलाशने के लिए हरियाणा सरकार हर मुमकिन कोशिश कर रही है। एक्शन प्लान व बोर्ड बनाकर इसकी अविरल धारा प्राप्त करने की कोशिश चल रही है।
- यह पहल सराहनीय है, लेकिन कृष्ण की प्रिय व यम की बहन मानी जाने वाली सदानीरा यमुना आज नीरविहीन हो गई है। यह सिर्फ प्राकृतिक कारणों से नहीं हुआ है। यमुनानगर से लेकर सोनीपत तक जिस तरह यमुना के सीने को रेत माफिया छलनी कर रहा है उससे यह हालात बने हैं।
- आज इस नदी पर आश्रित जल जीवन व जनजीवन दोनों पर ही संकट है। दो महीने बाद इस नदी में बारिश का पानी आ जाएगा, लेकिन आज जो स्थिति है, वह गंभीर है। इसे समझना होगा, क्योंकि इसे नदी की मौत की शुरुआत माना जाने लगा है।
- हमारा हर संस्कार जल से जुड़ा है। अंतिम संस्कार में तो अपने प्रिय की हर इच्छा पूरा करना हमारा कर्तव्य है। जो आज पूरा करना मुश्किल हो रहा है। इसलिए यमुना की अविरल धारा न केवल हमारी जिंदगी की जरूरत है बल्कि मरने के बाद भी उतनी ही अहम है। हम अपने प्रिय की इच्छा को मिट्टी में दबाकर छोड़ने के लिए विवश हैं। आखिर यह मजबूरी क्यों?
फोटोज- संजय झा।
( इस खबर पर हमें अपनी राय व सुझाव जरूर दीजिए। एसएमएस या वॉट्सएप करें- 9991559999
E-mail : editorharyana@dpcorp.in)
पॉजिटिव- आज समय कुछ मिला-जुला प्रभाव ला रहा है। पिछले कुछ समय से नजदीकी संबंधों के बीच चल रहे गिले-शिकवे दूर होंगे। आपकी मेहनत और प्रयास के सार्थक परिणाम सामने आएंगे। किसी धार्मिक स्थल पर जाने से आपको...
Copyright © 2020-21 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.