धर्मशाला. केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट अफ़ेयर्स राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने पालमपुर में कृषि विश्वविद्यालय में भारतीय जनता पार्टी के पूर्व कर्मचारी प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अधिवेशन में नागरिक संशोधन अधिनियम 2019 (सीएए) को नागरिकता लेने नहीं बल्कि नागरिकता देने का क़ानून बताते हुए इस पर कांग्रेस व विपक्षी दलों द्वारा लोगों को भ्रमित ना करने की बात कही है। इस कार्यक्रम में प्रदेश के सीएम जयराम ठाकुर भी पहुंचे।
अनुराग ठाकुर ने कहा नागरिक संशोधन अधिनियम 2019(सीएए) बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आने वाले अल्पसंख्यक को जो कि वहाँ धार्मिक उत्पीड़न का शिकार हैं उन्हें नागरिकता देने का क़ानून है।इस क़ानून के अंदर देश के किसी भी नागरिक को अपनी नागरिकता सिद्ध करने या उनके नागरिकता को छीनने का कोई प्रावधान नहीं है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व गृहमंत्री अमित शाह ने इस क़ानून के माध्यम से हमारे तीन पड़ोसी इस्लामिक देशों में दशकों से धार्मिक उत्पीड़न के शिकार हिंदू,सिख,ईसाई,बौद्ध,जैन और पारसी समुदाय के लिए भारत में नागरिकता लेने की राह को आसान करने का काम किया है।इसके बावजूद जहाँ इस क़ानून की तारीफ़ होनी चाहिए थी। कांग्रेस व उसके सहयोगी दलों ने अपने राजनैतिक लाभ के लिए लोगों से झूठ बोलकर व उन्हें भ्रमित कर आपसी सौहार्द व शांति को भंग करने में लिप्त हैं।
अनुराग ठाकुर ने कहा कि डिटेन्शन सेंटर पर भी कांग्रेस झूठ बोल रही है।सच्चाई यह है कि वर्ष 2009 में जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री व तरुण गोगोई असम के मुख्यमंत्री थे उस समय समय में डिटेन्शन सेंटर बनाए गए।13 दिसंबर, 2011 को पीआईबी द्वारा प्रकाशित एक समाचार से साफ हो जाता है कि कांग्रेस की सरकारों के दौरान डिटेंशन सेंटर बनाए गए थे।एनआरसी भी कांग्रेस की ही देन है जिसे पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 1985 में असम समझौते के दौरान सामने लाया व इसके लिए क़ानून बनाया।
सोनिया गांधी एवं मनमोहन सिंह द्वारा इसमें संशोधन किया जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने असम में लागू किया।भारतीय जनता पार्टी ने इस पर अब तक कोई क़ानून नहीं बनाया फिर भी कांग्रेस पूरे देश में इसे लेकर झूठ बोल रही है। अनुराग ठाकुर ने कहा आज़ादी के बाद हुए नेहरू-लियाक़त समझौते की गलती को सुधार कर मोदी सरकार द्वारा पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों को यहाँ नागरिकता देने का यह प्रशंसनीय प्रयास है।
भारत अपने पड़ोसी देशों के साथ हुए सभी समझौतों का पालन करने वाला एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है मगर हमारे पड़ोसी देशों ने सदैव भारत को धोखे में रख कर छलने का काम किया है। 1947 में पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की आबादी 23% थी जो 2011 में घटकर 3.7 % हो गई, 1947 में पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में अल्पसंख्यकों की आबादी 22% थी जो 2011 में मात्र 7.8% रह गई। लाखों-करोड़ों शरणार्थी यातनाएं झेल रहे हैं।उन्हें सुविधाएं नहीं मिली, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं, नौकरी नहीं मिली, उन लोगों को यातनाओं से मुक्ति के लिए मोदी सरकार यह क़ानून लेकर आई है।
आज कांग्रेस पार्टी ने राजनैतिक अवसरवादिता के लोभ में अपने नेताओं व पूर्व प्रधानमंत्रियों नेहरू,इंदिरा राजीव के विचारधारा के ख़िलाफ़ खड़ी हो गई है।इस मुद्दे पर 2003 में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने वकालत करते हुए राज्य सभा में भाषण दिया एवं पत्र भी लिखा था।कांग्रेस शासनकाल में वामपंथी नेता प्रकाश करात, अशोक गहलोत व तरुण गोगोई समेत अन्य सभी लोगों ने इसे लागू करने को लेकर पत्र लिखा था।
अब जब पीएम नरेंद्र मोदी ने इसे लागू कर दिया, तो यह विपक्षी दलों को बर्दाश्त नहीं हो रहा है।यह उनके दोहरे चरित्र का प्रमाण है। आजादी के समय अगर कांग्रेस ने धर्म के आधार पर देश का विभाजन न किया होता,तो आज नागरिकता संशोधन क़ानून की जरूरत नहीं पड़ती। मोदी एवं अमित शाह ने लाखों शरणार्थियों को नागरिकता देने का क़ानून बना कर महात्मा गांधी जी का सपना पूरा किया जिसके लिए कांग्रेस एवं विपक्षी दलों को भाजपा का धन्यवाद करना चाहिए।
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