खलीणी पार्किंग में तीन सालाें से ठेकेदार के द्वारा िकए जा रहे घाेटाले की जांच रिपाेर्ट एक हफ्ते में अाएगी। अायुक्त पंकज राय की अाेर से ज्वाइंट कमिश्नर काे जांच का पूरा जिम्मा दिया गया है। अब एक सप्ताह बाद ही यह पता चल सकेगा कि ठेकेदार ने तीन साल में कितने कमाए अाैर एमसी काे कितना चूना लगाया। स्थानीय पार्षद पर ही ठेकेदार काे शेल्टर करने के लगातार अाराेप लग रहे हैं। हालांकि इस पूरे मामले में ठेकेदार काे किसका शेल्टर मिलता रहा इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता।
नगर निगम अायुक्त पहले ही सभी पार्षदाें से अपील कर चुके हैं कि नगर निगम का स्टाफ जब भी फील्ड में जाता है ताे पार्षद उसे काम से नहीं राेक सकता। एक तरफ पार्षद अाैर अाम जनता नगर निगम से अपील करती है कि फील्ड में जाकर वार्ड विजिट की जाए। जब कर्मचारी फील्ड में जाते हैं ताे उन्हें धमकाया जाता है। एेसे में कर्मचारी भला कैसे काम करे। उन्हाेंेने दाेबारा इस तरह का मामला सामने अाने पर सख्ती से निपटने की बात कही। नगर निगम प्रशासन का कहना है कि पार्किंग में नगर निगम के नाम से ही पर्चियां कट रही थी। साल 2017 में टेंडर खत्म हाे चुका है। एेसे में तीन साल में ठेकेदार ने पार्किंग से जितना भी कमाया है उसकी पूरी रिकवरी हाेगी। इस बारे में स्थानीय पार्षद पहले ही निष्पक्ष जांच अाैर ठेकेदार पर कार्रवाई की बात कह चुके हैं। एेसे में अब जांच में जाे भी सामने अाएगा उसके अनुसार ही कार्रवाई हाेगी।
भास्कर
2 दिसंबर को प्रकाशित।
इम्पैक्ट
पहले सोया रहा एमसी पार्किंग में चल रहे इस अवैध वसूली के खेल में अाने वाले दिनाें में कई बड़े खुलासे हाे सकते हैं। इसमें एमसी की कार्यप्रणाली भी सवालाें के घेरे में हैं जिस पर माकपा सहित अन्य सामाजिक संस्थाअाें ने कई सवाल खड़े िकए हैं। सवाल उठ रहे हैं कि यदि तीन साल पहले पार्किंग का टेंडर खत्म हाे चुका था ताे एमसी प्रशासन कहां साेया रहा। पार्षद ने भी टेंडर खत्म हाेने पर एमसी काे इस बारे में जानकारी क्याें नहीं दी। इन सब तथ्याें पर एमसी जांच करेगा।