- सुप्रीम कोर्ट ने 18 जून को सोशल मीडिया हब के खिलाफ तुरंत सुनवाई से इनकार कर दिया था
नई दिल्ली. ऑनलाइन डेटा की मॉनिटरिंग के लिए सोशल मीडिया हब बनाने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाए। शुक्रवार को एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि सरकार लोगों के वॉट्सऐप मैसेज पर नजर रखना चाहती है। यह ऐसा देश बनाने जैसा होगा जहां हर किसी की निगरानी होती हो। कोर्ट ने केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से दो हफ्ते के भीतर इस मामले में जवाब मांगा है।
सोशल मीडिया हब के खिलाफ तृणमूल कांग्रेस के विधायक महुआ मोइत्रा ने याचिका दायर की है। इस पर सीजेआई दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच सुनवाई कर रही है। मोइत्रा के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि मोदी सरकार लोगों के ट्विटर, फेसबुक, वॉट्सऐप, ईमेल और अन्य अकाउंट्स पर नजर रखेगी। मंत्रालय के साथ काम करने वाली कंपनी ने सॉफ्टवेयर तैयार करने के लिए टेंडर जारी कर दिए हैं और यह 20 अगस्त को खुलेंगे। इस पर बेंच ने कहा कि वह टेंडर खुलने से पहले 3 अगस्त को मामले की अगली सुनवाई करेगी। कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल या किसी कानूनी अफसर से सलाह मांगी है।
सरकार की योजना क्या है? टेंडर के मुताबिक, सोशल मीडिया के साथ न्यूज साइट, डिजिटल चैनल और ब्लॉग्स के कंटेंट पर भी नजर रखी जाएगी। इस प्रोजेक्ट के लिए हर जिले में संविदा आधार पर मीडियाकर्मियों की भर्ती होगी। वे सरकार को अपने आसपास का हर रियल टाइम अपडेट उपलब्ध कराएंगे। फिर सोशल मीडिया हब में इसका विश्लेषण किया जाएगा।
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