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काबुल. महिलाओं के ऐसे साहसिक ग्रुप की जिसने संघर्ष के लिए संगीत को जरिया बना रखा है। मुल्क है अफगानिस्तान, जहां तालिबानी बंदिशों में म्यूजिक हराम है। यहां महिलाओं ने पहला ऑर्केस्ट्रा \'जोहरा\' बनाया है। इसे दुनियाभर में शोहरत मिल रही है। हाल ही में ग्रुप की 30 लड़कियों ने लंदन जाकर परफॉर्म किया। जरीफा अबीदा इस ऑर्केस्ट्रा ग्रुप की संयोजक हैं।
जरीफा बताती हैं, संगीत को समाज पाप मानता है, दुनिया घूमने पर मायने पता चले। हमारे समाज की लड़कियों के लिए संगीत पाप से कम नहीं समझा जाता है। कश्मीर की महिला बैंड के सदस्यों को भी मैं यही कहना चाहती हूं कि लोगों की बातों पर ध्यान मत दीजिए। अपने सपनों को सच में तब्दील करने के लिए मेहनत करें।
तालिबानी जिंदा जला देंते हैं
अफगानिस्तान एक ऐसा देश जहां औरतें जो संगीतकार, आर्टिस्ट या कंडक्टर हैं, उन्हें तालिबानी सड़कों पर जिंदा जला देते हैं या फिर पत्थरों से मार-मार कर हत्या कर देते हैं। मुझे हर रोज यह डर सताता था कि घर वाले मेरा स्कूल जाना बंद करवाकर मेरी शादी न करवा दें। 2014 में मैंने संगीत स्कूल एएनआईएम में दाखिला लिया। इस बारे में परिवार को भी नहीं बताया। हमारे यहां म्यूजिक सीखने वाली लड़कियों से लोग बेहतर सुलूक नहीं करते हैं।
2015 में जोहरा ऑर्केस्ट्रा बनाया
एक बार समर प्रोग्राम के लिए अमेरिका के येल यूनिवर्सिटी गई, तब लगा कि देश के बाहर संगीतकारों के प्रति लोगों की सोच और रवैया बेहद अलग है। भले ही वह महिला क्यों न हों। तब अहसास हुआ कि अफगानिस्तान में एक लड़की के संगीत सीखने के बाहरी दुनिया में क्या मायने हैं। 2015 में मैंने जोहरा ऑर्केस्ट्रा बनाया। एक साल बाद साथी नेगिन खापोल्वॉक के साथ इसके संचालन का मौका मिला।
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