- व्हीलचेयर में एक चेन लगी होती है, इसी से वह सीढ़ियों पर चढ़ जाती है और यूजर को कोई असुविधा नहीं होती
- अल्ट्रासोनिक स्टिक बनाने वाली कंपनी के संस्थापक की बचपन से आंखें नहीं
लंदन. दिव्यांगों की सुविधा के लिए बनाई चीजों को तकनीक की मदद से और बेहतर बनाया गया है। एक ऐसी व्हीलचेयर बनाई गई है जो खुद सीढ़ियों पर चढ़ सकेगी। कमजोर मांसपेशियों वालों के लिए एक रोबोटिक सूट तैयार किया गया है जो चलने में मददगार साबित होगा। साथ ही अल्ट्रासाउंड तकनीक से वॉकिंग स्टिक बनाई गई है जो कंपन के जरिए खतरे का अलार्म देगी।
ब्रिटेन की नेशनल ट्रेवल एजेंसी के सर्वे के मुताबिक- 2017 में स्वस्थ लोगों की तुलना में चलने-फिरने में परेशानी महसूस करने वाले लोगों ने 39% कम यात्रा की।
सीढ़ी चढ़ने वाली व्हीलचेयर
स्विट्जरलैंड के जोस डि फेलिस के दोनों पैरों और एक हाथ में लकवा (पैरालिसिस) है। 3 साल पहले हुई दुर्घटना में वे बुरी तरह जख्मी हो गए थे। इलाज के बाद भी जोस पूरी तरह ठीक नहीं हुए। डॉक्टरों ने कहा कि उन्हें बची हुई जिंदगी व्हीलचेयर पर बितानी पड़ेगी। इसके बाद जोस को यूट्यूब पर स्कीवो स्टार्टअप के बारे में पता चला। स्कीवो ऐसी व्हीलचेयर बनाता है जिसे स्मार्टफोन से नियंत्रित किया जा सकता है। यह खास व्हीलचेयर केवल सीढ़ियां ही नहीं बल्कि पहाड़ों पर भी चढ़ सकने में सक्षम है।
जोस के मुताबिक- मैंने व्हीलचेयर की टेस्टिंग की। वह अपने आप सीढ़ियां चढ़ गई। यह देखना मेरे लिए काफी भावुक पल था। मैंने अपने आप से कहा कि लगता है अब सब मुमकिन हो जाएगा। इस साल के अंत तक जोस को यह व्हीलचेयर मिल जाएगी। स्कीवो के संस्थापक और सीईओ बर्नहार्ड विंटर कहते हैं कि हमारा इस तरह की व्हीलचेयर बनाने का एक ही मकसद है कि लोगों को उनका चलना-फिरना और आजादी दे सकें।
रोबोटिक एग्जोमसल सूट
ज्यूरिख के स्टार्टअप मायोस्विस ने रोबोटिक्स और टेक्सटाइल को जोड़कर एग्जोमसल (शरीर के ऊपर से पहना जाने वाला) सूट तैयार किया है। करीब 5 किलो का यह सूट उन लोगों की मदद करेगा जो कमजोर मांसपेशियों के चलते चलने में परेशानी महसूस करते हैं। सूट में लगे सेंसर घुटनों में गति पैदा करेंगे। कंपनी के सीईओ जैम दुआर्ते के मुताबिक- सूट उन लोगों के लिए ज्यादा मददगार है जिन्हें कुर्सी से उठने और सीढ़ी चढ़ने में तकलीफ होती है।
स्मार्ट वॉकिंग स्टिक
तुर्की की यंग गुरु एकेडमी ने एक खास वॉकिंग स्टिक बनाई है। इसका नाम वीवॉक स्टिक है। इसमें लगे अल्ट्रासोनिक सेंसरों से छाती से ऊपर आने वाली बाधाओं का पता चल सकेगा। साथ ही यह यूजर को कंपन के जरिए चेतावनी देगी। यह स्मार्टफोन से जोड़कर नेविगेशन में भी मददगार होगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक- दुनिया में इस वक्त 3 करोड़ 90 लाख लोग देख पाने में अक्षम हैं। स्टिक को इंटरनेट से जोड़कर काफी जानकारियां हासिल की जा सकती हैं।
कंपनी के संस्थापक और सीईओ कुरसत सेलन की जन्म से आंखें नहीं हैं। उनका कहना है कि अब तो उड़ने वाली कारों की बात भी होने लगी है। लेकिन बिना आंखों वाले लोगों का एक साधारण सी छड़ी से भी काम चल जाता है। मेरी भी आंखें नहीं हैं। जब मैं मेट्रो ट्रेन में होता हूं तो मुझे पता नहीं होता कि बाहर कहां से निकलना है या फिर कौन सी बस में चढ़ना है या मेरे आसपास कौन-सी दुकानें हैं। लेकिन हमारी वीवॉक आपको ये सारी सूचनाएं दे सकती है।