यूक्रेन पर रुसी हमले के बाद यूरोप में शरणार्थियों की बाढ़ आ गई है। इसका असर यूक्रेनी बच्चों पर भी पड़ा है। UNICEF के प्रवक्ता जेम्स एल्डर के मुताबिक, यूक्रेन में जंग की शुरूआत से अब तक कुल 30 लाख लोग पलायन कर चुके हैं। इनमें आधी संख्या बच्चों की है। जंग शुरू होने के बाद से हर मिनट 55 बच्चे रिफ्यूजी बनने को मजबूर हैं। यानी लगभग हर सेकेंड में एक बच्चा रिफ्यूजी बन गया है।
आगे बढ़ने से पहले आप इस पोल में हिस्सा लेकर अपनी राय दे सकते हैं...
कई बच्चों को मां और भाई-बहनों के साथ कठिन सफर तय करना पड़ा है। इन बच्चों के माता-पिता इस बात से परेशान हैं कि उन्हें कैसे समझाया जाए कि उनके साथ क्या हुआ। कुछ बच्चों ने सुना कि वे छुट्टी पर जा रहे हैं। कुछ को कहा गया कि हमारे घर सुरक्षित नहीं हैं और पापा को देश की रक्षा के लिए वहीं रुकना होगा।
रूसी हमले के बाद यूक्रेन के 4.4 करोड़ नागरिकों में से करीब 30 लाख ने देश छोड़ दिया है।
पढ़िए ऐसे ही 2 रिफ्यूजी बच्चों की कहानियां….
वेरोनिका के दादा-दादी और पिता यूक्रेन में ही छूट गए
9 साल की वेरोनिका लोतोवा जब यूक्रेन के डोनबास इलाके से बाहर निकलकर पड़ोसी देश पोलैंड पहुंची है। वह अपने साथ टेडी बियर लेकर आई। वेरोनिका अपने दादा-दादी के साथ एक टीवी शो देखती थी, जिसमें भालू के कैरेक्टर का नाम वोलोडा है।
उसके परिवार ने जंग से पहले उसके दादा-दादी को बाहर निकालने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने देश नहीं छोड़ने का फैसला किया। वेरोनिका की मां को चिंता है कि उसके दादा-दादी और वेरोनिका के पिता बम हमले में नहीं बचेंगे।
डायना को जन्मदिन की रात शेल्टर होम में गुजारनी पड़ी
सुमी शहर की रहने वाली डायना उस दिन 7 साल की हो गई थी, जिस दिन रूसी सैनिकों ने उनके शहर सुमी पर गोलाबारी शुरू की। डायना को जन्मदिन की रात शेल्टर होम में गुजारनी पड़ी। कुछ दिन बाद, वह अपनी मां और 11 साल की बहन के साथ पश्चिमी यूक्रेन के लिए एक ट्रेन में सवार हो गई।
उसके पिता रूसी हमले में घायल होने की वजह से साथ नहीं आ सके। जब डायना अपने गालों को फुला कर अपनी ड्राइंग की ओर देख रही थी, उस दौरान उसकी मां एलोना की आंखों में आंसू आ गए।
अब 10 फोटोज में देखिए यूक्रेनी पलायन करने वाले बच्चों का सफर...
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.