मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद सुंयुक्त राष्ट्र महासभा के नए अध्यक्ष चुने गए हैं। 2018 में मालदीव ने उनको कैंडिडेट बनाने की घोषणा की थी। भारत के विदेश सचिव जब 2020 में मालदीव गए थे तो उन्होंने शाहिद को समर्थन देने का ऐलान किया था। शाहिद की उम्मीदवारी को जबरदस्त समर्थन मिला। वोटिंग के दौरान उनके पक्ष में 148 जबकि विरोध में महज 48 वोट पड़े। इस दौरान कोई भी देश गैरहाजिर नहीं रहा और न ही कोई वोट गैरकानूनी पाया गया।
76वीं महासभा की अध्यक्षता करेंगे
महासभी का यह पद सालाना आधार पर अलग-अलग देशों के पास जाता है। शाहिद 76वीं महासभा की अध्यक्षता करेंगे। उनका कार्यकाल 2021-22 होगा। तारीख का ऐलान बाद में किया जाएगा। मालदीव के लिए यह गौरव का पल इसलिए भी है क्योंकि इस छोटे से देश को पहली बार विश्व मंच पर इतना बड़ा पद हासिल हुआ है। मालदीव ने शाहिद के नाम की घोषणा तीन साल पहले की थी और तब कोई दूसरा व्यक्ति इस दौड़ में शामिल नहीं था।
डिप्लोमैट हैं शाहिद
शाहिद एक कामयाब डिप्लोमैट माने जाते हैं। मल्टीनेशनल फोरम्स को हैंडल करने का उन्हें अनुभव है। भारत और मालदीव के रिश्ते काफी अच्छे रहे हैं। यही वजह है कि जब मालदीव ने शाहिद को उम्मीदवार बनाने का ऐलान किया तो भारत ने उनका समर्थन किया। सोमवार को विदेश मंत्री जयशंकर ने सोशल मीडिया के जरिए शाहिद को बधाई और शुभकामनाएं दीं।
जनवरी 2021 तक शाहिद के सामने कोई नहीं था, लेकिन इसके बाद अफगानिस्तान के विदेश मंत्री जालमेई रसूल इस दौड़ में शामिल हो गए। उन्हें भी समर्थन हासिल हो सकता था, लेकिन उन्होंने दौड़ में शामिल होने का फैसला बहुत देर से किया। अफगानिस्तान 21वीं महासभा की अध्यक्षता कर चुका है। यह 1966-67 में हुआ था।
पाकिस्तान को झटका
भारत और मालदीव के करीबी रिश्ते हैं। शाहिद के पहले तुर्की के वोल्कन बोजकिर इस पद पर थे। पिछले दिनों वे पाकिस्तान गए थे और कश्मीर पर विवादित बयान दिया था। संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता ने इस मसले पर कहा- हम बोजकिर के बयान को मान्यता नहीं देते। उन्होंने भारत के केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर को लेकर जो कुछ कहा है हम उसका कड़ा विरोध करते हैं। अब शाहिद के इस पद पर आने के बाद पाकिस्तान का महासभा में पक्ष काफी कमजोर हो जाएगा।
संयुक्त राष्ट्र के ढांचे में महासभा अध्यक्ष पद सबसे बड़ा ओहदा माना जाता है। कुल 193 देश इसके सदस्य हैं।
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