IS ने किया था PAK एम्बेसी पर हमला:जांच में जुटी पाकिस्तान सरकार; अमेरिका ने तालिबान पर सवाल उठाए

इस्लामाबाद6 महीने पहले
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पिछले हफ्ते काबुल में मौजूद पाकिस्तान एम्बेसी पर हमला आतंकी संगठन IS ने किया था। कई मीडिया रिपोर्ट्स में अफगानिस्तान और पाकिस्तान की सरकारों के हवाले से इस तरफ इशारा किया जा रहा है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इस बारे में साफ तौर पर कुछ नहीं कहा है। दूसरी तरफ, खुद IS ने हमले की जिम्मेदारी ले ली है।

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने सीधे तौर पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। इतना जरूर कहा कि वो अफगान अथॉरिटीज के संपर्क में हैं और इस हमले की जांच की जा रही है। हमले में पाकिस्तान के एम्बेसेडर घायल हो गए थे। उस दौरान वो कैम्पस में टहल रहे थे।

आतंकवाद के खिलाफ जंग जारी रहेगी
काबुल में मौजूद पाकिस्तान एम्बेसी पर हमले के बारे में पूछे गए एक सवाल पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा- इस बारे में जांच चल रही है। हमारे पास कई तरह की रिपोर्ट्स आई हैं। इन्हें वेरिफाई किया जा रहा है। इतना जरूर है कि इस क्षेत्र में आतंकवाद का खतरा बढ़ता जा रहा है। हमें मिलकर इस खतरे से निपटना होगा। जहां तक पाकिस्तान का सवाल है तो हम इस बारे में तेजी से कदम उठा रहे हैं।

पाकिस्तान की कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया था IS अकेले इस हमले को अंजाम नहीं दे सकता, उसे कुछ लोकल लोगों की मदद जरूर मिली होगी। ये भी कहा जा रहा है कि अफगान तालिबान में कुछ गुट ऐसे हैं, जो नहीं चाहते कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान के रिश्ते बेहतर हों।

उबैद-उर-रहमान निजामी काबुल में पाकिस्तान के कार्यवाहक राजदूत हैं। शुक्रवार को एम्बेसी के लॉन में टहलते वक्त उन पर दूर से फायरिंग की गई थी।
उबैद-उर-रहमान निजामी काबुल में पाकिस्तान के कार्यवाहक राजदूत हैं। शुक्रवार को एम्बेसी के लॉन में टहलते वक्त उन पर दूर से फायरिंग की गई थी।

स्नाइपर्स ने की थी फायरिंग
अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज तालिबान का अकसर इस्लामिक स्टेट के खोरासान ग्रुप से टकराव होता रहता है। खोरासान ग्रुप वास्तव में मिडिल ईस्ट में मौजूद आतंकी संगठन IS की ही एक विंग है।
खोरासान ने इस हमले की जिम्मेदारी लेते हुए कहा था- पाकिस्तान की एम्बेसी पर हमला हमारे स्नाइपर्स ने किया था। उनके पास मीडियम रेंज की राइफल थीं। उस वक्त पाकिस्तान के एम्बेसेडर लॉन में टहल रहे थे।

दूसरी तरफ, अमेरिकी कांग्रेस की एक रिपोर्ट में तालिबान को लेकर अहम बातें कही गई हैं। इसके मुताबिक- एक्सपर्ट्स मानते हैं कि तालिबान के पास इतनी काबिलियत नहीं है कि वो IS जैसे आतंकी संगठनों के हमलों से निपट सके। IS हमेशा से तालिबान के लिए बड़ा खतरा रहा है। दोनों के बीच 2015 से तनाव है। अगस्त 2021 में जब तालिबान अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज हो गए तो खोरासान ग्रुप के 4 हजार आतंकी तालिबान को चैलेंज करने लगे। पिछले साल इसी संगठन ने अफगानिस्तान में हमले किए।

काबुल में मौजूद पाकिस्तान की एम्बेसी। इसके करीब कई बड़ी इमारतें हैं। माना जा रहा है कि एम्बेसी में फायरिंग किसी करीबी इमारत से ही गई थी।
काबुल में मौजूद पाकिस्तान की एम्बेसी। इसके करीब कई बड़ी इमारतें हैं। माना जा रहा है कि एम्बेसी में फायरिंग किसी करीबी इमारत से ही गई थी।

कैसे हुआ था हमला

  • शुक्रवार को काबुल की एम्बेसी में चार्ज डी अफेयर्स (एक तरह से कार्यवाहक राजदूत) उबैद-उर-रहमान निजामी टहल रहे थे। इसी दौरान पास की किसी इमारत से उन पर फायरिंग की गई। निजामी को ज्यादा चोट नहीं आई, लेकिन उनके बॉडीगार्ड को तीन गोलियां लगीं। उसकी हालत गंभीर बताई जाती है।
  • खास बात यह है कि हमले के एक दिन पहले ही पाकिस्तान की विदेश राज्यमंत्री हिना रब्बानी खार सीमा विवाद को लेकर बातचीत के लिए काबुल गईं थीं। दोनों देशों के बीच डूरंड लाइन को लेकर अकसर तनाव और फायरिंग होती रही है। अमेरिकी विदेश विभाग की रिपोर्ट में कहा गया है कि अफगानिस्तान के हालात का असर उसके पड़ोसी देशों पर पड़ना तय है।
  • पाकिस्तान की सबसे बड़ी परेशानी तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान यानी TTP है। यह आतंकी संगठन पाकिस्तान में अफगानिस्तान की तर्ज पर शरिया कानून लागू करना चाहता है और इसीलिए पाकिस्तानी फौज को निशाना बनाता है।