तालिबान के चेहरे पर से नकाब उतरने लगा है। अब पत्रकारों पर हमले तेज हो गए हैं। आतंकियों ने गुरुवार को काबुल की सुरक्षा पर रिपोर्ट कर रहे स्थानीय TV चैनल शमशाद के पत्रकारों की जमकर पिटाई की। उनके कैमरे छीन लिए। विदेशी मीडिया प्रतिनिधियों को देश के अन्य शहरों में काम करने से रोक दिया गया है।
वहीं इन सब के बीच काबुल में जिंदगी दिन-ब-दिन कठिन होती जा रही है। लोग राष्ट्रीय ध्वज के साथ सड़कों पर मार्च कर रहे हैं। कई जगह इन मार्च का नेतृत्व महिलाएं कर रही हैं। ये लोग नारे लगा रहे हैं- "हमें हमारा सुंदर ध्वज चाहिए।"
हर चेहरे पर दिख रहा तालिबान का डर
कई जगहों पर तालिबान लड़ाकों का मार्च कर रहे युवाओं से सामना हो रहा है। लड़ाके चिल्लाते हुए प्रदर्शनकारियों पर बंदूक तान रहे हैं। बाजार भी पूरी तरह से नहीं खुल रहे। कुछ हिस्सों में दुकानें खुल रही हैं। बैंकों में लोगों की लंबी कतारें लग रही हैं। एक बात जो काबुल के हर निवासी के चेहरे पर स्पष्ट है, वो है- तालिबानी लड़ाके द्वारा रोके जाने का डर।
आज का काबुल 5 दिन पहले के शहर से अलग दिख रहा है। काबुल के पतन से पहले लोग आधी रात तक या उसके बाद भी सड़कों पर देखे जाते थे। अब शाम होते ही सड़कें सूनी होने लगी हैं। लोगों के कपड़े बदल रहे हैं। युवा शायद ही जींस-टीशर्ट में दिख रहे हैं। सभी पारंपरिक परिधानों में दिख रहे हैं।
काबुल एयरपोर्ट पर दहशत का मंजर
पुरुष अधिक पारंपरिक दिखने के लिए दाढ़ी बढ़ा रहे हैं। काबुल देश का आधुनिक शहर रहा है, जहां महिलाएं हिजाब में कम ही दिखती थीं। अब जो महिलाएं दिख रही हैं, वो बुर्के में दिख रही हैं। दहशत का मंजर काबुल एयरपोर्ट पर भी दिख रहा है। यहां बिना कुछ खाए-पिए हजारों लोग जुट रहे हैं। इनमें ज्यादातर वे लोग हैं, जिन्होंने विदेशी सरकारों के साथ काम किया है।
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