जंग में रूस का सामना करने के लिए जर्मनी अपने 14 एडवांसड 'लेपर्ड-2' टैंक तो अमेरिका 31 'अब्राम टैंक्स' यूक्रेन को देगा। जर्मनी के रक्षा मंत्री बोरिस पिस्टोरियस ने गुरुवार को बताया है कि यूक्रेन को इन टैंकों की डिलीवरी मार्च के अंत या अप्रैल की शुरुआत में कर दी जाएगी।
टैंक्स की मांग पूरी होने के बाद जेलेंस्की ने कहा कि जीत की तरफ यह हमारा एक महत्वपूर्ण कदम है। हालांकि टैंक मिलने की घोषणा होने के बाद भी यूक्रेन की और हथियार हासिल करने की चाहत खत्म नहीं हुई है। यूक्रेन का कहना है कि बैटल टैंक्स मिलने के बाद अब उसे फाइटर जेट्स भी चाहिए।
F-16 फोर्थ जेनरेशन की मांग कर रहा यूक्रेन
यूक्रेन के रक्षा मंत्री के सलाहकार यूरी साक ने एक बयान दिया। उन्होंने कहा कि यूक्रेन की अगली चुनौती फाइटर जेट्स हासिल करना है। अगर हमें वो मिल जाते हैं तो यकीनन जंग के मैदान में हमें बड़ा फायदा होगा। हालांकि जर्मनी ने यूक्रेन को फाइटर जेट्स देने से इनकार कर दिया है।
यूक्रेन का कहना है कि उसे कोई मामूली फाइटर जेट्स नहीं चाहिए, बल्कि अमेरिका का फोर्थ जेनरेशन F-16 लड़ाकू विमान चाहिए। अलजजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक जंग से पहले यूक्रेन को खतरनाक हथियार देना काफी विवादित था। अमेरिका समेत कई पश्चिमी देश ऐसा करने में हिचकते थे। अब समय और हालात बदल गए हैं। हथियार न देने के टैबू को लगतार तोड़ा जा रहा है।
यूरी साक ने कहा कि पहले वो हमें आर्टिलरी नहीं देना चाहते थे, लेकिन उन्हें देनी पड़ी। फिर वो हमें हिमरास मिसाइल डिफेंस सिस्टम नहीं देना चाहते थे। हमने वह भी हासिल कर लिया। कई महीनों की बातचीत और बहस के बाद अब उन्हें बैटल टैंक्स भी देने पड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि परमाणु हथियारों के अलावा ऐसा कोई हथियार नहीं जो यूक्रेन पश्चिमी देशों से हासिल नहीं कर सकता है।
जर्मनी ने फाइटर जेट्स की मांग खारिज की
जर्मनी लगातार यूक्रेन को खतरनाक हथियार देने से इनकार कर रहा है। इसके पीछे एक मुख्य वजह तो रूस की धमकियां हैं। लेपर्ड देने की घोषणा होने के बाद रूस ने कहा है कि जर्मनी ने सेकेंड वर्ल्ड वॉर के बाद दोनों देशों के बीच हुए सुरक्षा समझौते को तोड़ा है। रूस के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मारिया जाखरोवा ने टेलीग्राम पर कहा कि लेपर्ड टैंक देने के फैसले से स्पष्ट है कि जर्मनी पहले से ही रूस के खिलाफ जंग की तैयारी कर रहा था।
वहीं जर्मनी के चांसलर का कहना है कि इस तरह से यूक्रेन को खतरनाक हथियार देने का सीधा मतलब जंग को और बढ़ावा देना है। इससे स्थिति संभलने की बजाय और खराब होगी। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक सेकेंड वर्ल्ड वॉर में जिस तरह से जर्मनी दो हिस्सों में बंटा उसकी यादें वहां की सरकार और लोगों को अब भी परेशान करती हैं। जर्मनी चाहता है कि वो यूक्रेन की मदद करे। दूसरी तरफ वो कोई ऐसा काम नहीं करना चाहता जिससे जंग का दायरा और बढ़ जाए और जर्मनी उसकी चपेट में आ जाए।
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सोवियत मॉडल चाहिए थे, इसलिए जर्मनी ने बनाए लेपर्ड-2 टैंक
1965 में लेपर्ड-1 सर्विस में आया। इसने 12 से ज्यादा यूरोपीय देशों के लिए मेन बैटल टैंक्स का काम किया। इन टैंक्स का सबसे ज्यादा इस्तेमाल जर्मनी, इटली और नीदरलैंड्स ने किया। लेपर्ड-1 टैंक्स को उस जमाने में बनाया गया जब हाई एक्स्प्लोसिव एंटी टैंक्स के आने से हैवी वेपनरी का दबदबा लगभग खत्म होने को था। पूरी खबर यहां पढें...
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