रूस ने अंतरिक्ष में सैटेलाइट को तबाह करने वाले एंटी सैटेलाइट मिसाइल (एसैट) का परीक्षण किया है। बताया जा रहा है कि इस टेस्ट के दौरान रूस ने अपने एक पुराने जासूसी उपग्रह कॉसमॉस-1408 को उड़ा दिया। इससे निकला मलबा अंतरिक्ष में चक्कर काट रहे अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) के बेहद नजदीक से गुजरा। इस कारण आईएसएस पर काम कर रहे अमेरिका के चार, जर्मन का एक और रूस के दो अंतरिक्ष यात्रियों को बचने के लिए अपने वापसी यान यानी सोयुज में शरण लेनी पड़ी।
यह एक आपातकालीन व्यवस्था है जिसमें अंतरिक्ष यात्री किसी तरह का खतरा होने पर उन वाहनों में चले जाते हैं, जिनके जरिए उन्हें पृथ्वी पर लौटाया जा सके। यह अभी तक साफ नहीं हुआ है कि रूस ने इस हथियार का कब परीक्षण किया। उसने इस परीक्षण की जानकारी भी संबंधित देशों से साझा नहीं की। इस घटनाक्रम की निगरानी कर रहे विशेषज्ञों ने बताया कि प्रत्येक 90 मिनट या उसके बाद रूसी सैटेलाइट का मलबा आईएसएस के पास से गुजरा। रूस की स्पेस एजेंसी रोसकोसमोस ने भी इसकी पुष्टि की है।
एजेंसी ने कहा, ‘कक्षा में कुछ चीजों के आने से चालकदल को अपने यान में जाना पड़ा जो कि एक मानक प्रक्रिया है। मलबा अब कक्षा से बाहर जा चुका और अब अंतरिक्ष स्टेशन ग्रीन जोन में (सुरक्षित) है।’ रूस के इस कदम को अमेरिका ने खतरनाक बताया है। उसने कहा है कि अंतरिक्ष में मलबे से आईएसएस के परिचालन में बाधा आई।
अमेरिका ने कहा कि इस हरकत का जवाब देंगे। भारत, अमेरिका, रूस और चीन जैसे देश धरती से ही कक्षा से उपग्रहों को बाहर निकालने में सक्षम हैं। चीन ने 2007 में अपने निष्क्रिय मौसम उपग्रह को नष्ट किया था, तो 3000 से अधिक मलबे के टुकड़े बने थे।
अमेरिका ने कहा, ये खतरनाक, इसका जवाब दिया जाएगा
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा, ‘मलबे से 1,500 से अधिक टुकड़े बने हंै। ये एस्ट्रोनॉट के साथ अन्य मानव अंतरिक्षयान की गतिविधियों के लिए जोखिम बढ़ा देगा। अंतरिक्ष के हथियारीकरण का विरोध करने का रूस का दावा पाखंड हैं।
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