पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा मंगलवार को रिटायर होने जा रहे हैं। कल एक प्रोग्राम के दौरान बाजवा नए आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर को चार्ज सौंप देंगे।
पद छोड़ने से पहले बाजवा ने फौज को एक अहम पैगाम दिया। कहा- मुल्क के 70 साल के इतिहास में पहली बार हमने सियासत से दूरी बनाने का फैसला किया है। मेरा मानना है कि इससे फौज को इज्जत मिलेगी और उसका सम्मान बढ़ेगा। यह जरूर है कि कुछ लोग इससे काफी नाराज हैं। बाजवा का इशारा पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) की तरफ है।
हमें अपनी गलतियों का अहसास
जनरल बाजवा ने रिटायरमेंट के ठीक पहले UAE के अखबार ‘गल्फ न्यूज’ को एक इंटरव्यू दिया। फौज और पाकिस्तान के मौजूदा हालात से जुड़े अहम सवालों के जवाब दिए। कहा- मुझे ये मानने में कोई गुरेज नहीं कि पाकिस्तान के तमाम फैसलों में फौज का अहम रोल रहा है। इतिहास गवाह है कि फौज का सियासत में दखल रहा। शायद यही वजह है कि हमें एक इदारे (विभाग) के तौर पर कई बार कड़ी आलोचना का भी शिकार होना पड़ा।
बाजवा ने आगे कहा- अब हमने फैसला कर लिया है कि फौज हर हाल में सियासत से दूर रहेगी। इससे लोकतंत्र मजबूत होगा और इससे भी बड़ी बात यह होगी कि सेना को मुल्क में इज्जत मिलेगी और इसमें इजाफा होगा। हर फौजी भी तो यही चाहता है।
कुछ लोगों को दिक्कत होगी
भारत का जिक्र नहीं
दो साल पहले जनरल बाजवा ने एक सरकारी कार्यक्रम में तब के प्रधानमंत्री इमरान खान को सुझाव दिया था कि वो भारत से रिश्ते सुधारें और उससे कारोबार शुरू करें, क्योंकि इससे पाकिस्तान को बहुत फायदा होगा। इस इंटरव्यू में बाजवा ने भारत का नाम तो नहीं लिया, लेकिन चीन के साथ ईरान और अफगानिस्तान पर राय दी। कहा- इन मुल्कों से पाकिस्तान को रिश्ते सुधारना होंगे।
बाजवा ने कहा- साउथ एशिया में दो पावर सेंटर बन गए हैं। एक चीन है। अफगानिस्तान और ईरान बॉर्डर पर भी हमें दिक्कतें हैं। इनसे निपटना होगा। गल्फ कंट्रीज ने हर मुश्किल वक्त में पाकिस्तान की मदद की है और इसमें मिलिट्री का भी बड़ा हिस्सा रहा है।
फेयरवेल स्पीच में भी यही कहा था
बाजवा ने बुधवार को फेयरवेल स्पीच दी थी। इस भाषण में साफगोई दिखाते हुए माना था कि मुल्क की सियासत में फौज 70 साल से दखलंदाजी करती रही है, लेकिन अब नहीं करेगी।
61 साल के बाजवा ने सियासतदानों और खासतौर पर इमरान खान को बिना नाम लिए नसीहत दी था। कहा था- ये बहुत जरूरी है कि फौज के बारे में बोलते वक्त सलीके से शब्दों का चुनाव किया जाए। बाजवा के मुताबिक- हालिया महीनों में जिस तरह की जुबान का इस्तेमाल फौज के लिए किया गया है, वो बहुत गलत और दुख देने वाला है।
इमरान ही टारगेट पर
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