कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के बढ़ते मामलों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को ऐलान किया कि 10 जनवरी से हेल्थ वर्कर्स समेत करीब 3 करोड़ फ्रंट लाइन वर्कर्स को प्रिकॉशन डोज दिया जाएगा।इसके साथ ही 60+ उम्र के गंभीर बीमारी से पीड़ित नागरिकों को भी उनके डॉक्टर की सलाह पर वैक्सीन के प्रिकॉशन डोज का विकल्प दिया जाएगा। इसकी भी शुरुआत 10 जनवरी से ही की जाएगी।
कोरोना संक्रमित होने की सबसे ज्यादा आशंका वालों को दिए जाने वाले बूस्टर डोज को प्रिकॉशन डोज कहते हैं। सरकारी सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, दूसरे डोज और प्रिकॉशनरी डोज के बीच 9 महीने से 12 महीने के बीच का गैप रह सकता है।
पिछले दो डोज से अलग हो सकती है तीसरी डोज
देश की शीर्ष एडवाइजरी बॉडी की राय है कि लोग जिस वैक्सीन के दो डोज लगवा चुके हैं, उन्हें तीसरा डोज अलग कंपनी का लगेगा। यानी अगर आपने दो डोज कोवैक्सिन के लगवाए हैं तो तीसरा डोज कोवीशील्ड का लग सकता है। हालांकि इस बात की संभावना है कि तीसरा डोज किसी नई कंपनी की वैक्सीन से लगाया जाए।
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, सूत्रों ने बताया है कि प्रिकॉशनरी डोज किसी अलग प्लेटफॉर्म की वैक्सीन से दी जाएगी। अगले महीने कई कंपनियां अपनी वैक्सीन मार्केट में उतार रही हैं। इनमें हैदराबाद की बायोलॉजिकल ई की कॉर्बीवैक्स वैक्सीन का नाम सबसे आगे है। केंद्र सरकार ने कॉर्बीवैक्स को 1500 करोड़ रुपए का एडवांस पेमेंट किया है। इससे कंपनी 30 करोड़ डोज मुहैया कराएगी। सूत्रों के मुताबिक, कॉर्बीवैक्स को अगले दो हफ्तों में इमरजेंसी यूज अप्रूवल मिल सकता है।
कहां-कहां दिया जा रहा है बूस्टर डोज?
Our World in Data के मुताबिक, दुनियाभर के 35 से भी ज्यादा देश अपने नागरिकों को बूस्टर डोज दे रहे हैं। अलग-अलग देशों में कोमोर्बिडिटी (एक समय में एक से ज्यादा बीमारियां होना) और अलग-अलग फैक्टर को ध्यान में रखते हुए लोगों को कोरोना वैक्सीन का बूस्टर डोज दिया जा रहा है। इसकी शुरुआत अगस्त में इजरायल से हुई थी, जिसके बाद ब्रिटेन, फ्रांस, स्पेन, नॉर्वे, जर्मनी समेत यूरोप के करीब सभी देशों के साथ अमेरिका, कनाडा, जापान, चीन, तुर्की जैसे देशों में बूस्टर डोज दिए जा रहे हैं।
वैक्सीन पर बूस्टर डोज कितना इफेक्टिव है?
ब्रिटेन- ब्रिटेन की हेल्थ सिक्योरिटी एजेंसी (UKHSA) के मुताबिक, कोरोना की बूस्टर डोज ओमिक्रॉन वैरिएंट के सिम्प्टोमेटिक इन्फेक्शन के खिलाफ 70 से 75% तक सुरक्षा प्रदान करता है। हालांकि, यह स्टडी अभी शुरुआती चरणों में है, लिहाजा आने वाले दिनों में ज्यादा डेटा मिलने पर इसके नतीजों में बदलाव हो सकता है।
इजराइल- बूस्टर डोज देने की शुरुआत इजराइल से हुई थी। यहां अगस्त से ही नागरिकों को बूस्टर डोज दिया जा रहा है। अक्टूबर में इजराइल की सबसे बड़ी हेल्थ मेनटेनेंस ऑर्गेनाइजेशन क्लालिट हेल्थ सर्विस ने स्टडी कराई थी। इसमें बूस्टर डोज लेने वाले 7.28 लाख लोगों का अध्ययन किया गया था। इसमें सामने आया दो डोज की तुलना में गंभीर संक्रमणों से बचाव में बूस्टर डोज 92% प्रभावी है।
चीन- चीन की बायोटेक कंपनी सीनोवैक ने बूस्टर डोज को लेकर एक स्टडी पब्लिश की है। इसमें सामने आया कि ओमिक्रॉन वैरिएंट के खिलाफ तीसरा वैक्सीन डोज 94% प्रभावशाली है। कंपनी ने कुल 68 लोगों पर स्टडी की थी जिसमें से 20 ने सिर्फ दो डोज लिए थे, जबकि 48 ने तीन डोज लिए थे। पहले समूह के 7 लोगों में और दूसरे समूह के 45 लोगों में ओमिक्रॉन के खिलाफ एंटीबॉडी डेवलप हुई।
अमेरिका- ओमिक्रॉन पर वैक्सीन इफेक्टिवनेस को लेकर फाइजर और मॉडर्ना ने भी स्टडी की थी। कंपनियों ने कहा था कि उनकी वैक्सीन का बूस्टर डोज ओमिक्रॉन के खिलाफ भी इफेक्टिव है। वैक्सीन के दोनों डोज लगवाने के 5-6 महीने बाद एंटीबॉडी लेवल में कमी आने लगती है। इंग्लैंड में फाइजर वैक्सीन की इफेक्टिवनेस को लेकर की गई स्टडी में सामने आया था कि दूसरा डोज लगवाने के 2 हफ्ते तक वैक्सीन इन्फेक्शन को रोकने में 90% कारगर है, लेकिन 5 महीने बाद केवल 70% ही कारगर रह जाती है। इसी स्टडी में मॉडर्ना वैक्सीन की इफेक्टिवनेस भी समय के साथ कम होती गई थी।
भारत में हो सकती है वैक्सीन डोज की कमी
देश में कोवैक्सिन और कोवीशील्ड की वैक्सीन लगाई जा रही हैं। 3 जनवरी से भारत में 15 से 18 साल के बच्चों को वैक्सीन लगाई जानी है। अगर इनको कोवैक्सिन का डोज लगाया जाता है तो बुजुर्गों को लगाए जाने वाले बूस्टर शॉट के लिए पर्याप्त मात्रा में डोज तैयार रखना चुनौती भरा काम होगा।
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