ब्राजील में कोर्ट ने 10 साल की रेप पीड़िता बच्ची को अबॉर्शन कराने से रोक दिया। इस मामले की सुनवाई करने वाली महिला जज ने पीड़िता को उसके घर वालों से दूर शेल्टर होम भेज दिया है। इस फैसले के बाद देश में हंगामा खड़ा हो गया है, कई मानवाधिकार कार्यकर्ता और NGO कोर्ट के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इसके अलावा सोशल मीडिया पर भी गर्भपात को लेकर बहस छिड़ गई है।
वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, जज रिबेरो जिमर ने पीड़िता से गर्भपात न कराने की अपील की। बाद में पब्लिक प्रॉसिक्यूटर ने पीड़िता कहा कि अगर वो चाहे तो अबॉर्शन की जगह इस बच्चे को गोद दे सकती हैं।
अबॉर्शन से रोकने के लिए शेल्टर होम भेजा
बाद में जज ने लड़की को शेल्टर होम भेजने का फैसला दिया। उन्होंने कहा कि लड़की घर में रहते हुए अबॉर्शन के लिए कोई बड़ा कदम उठा सकती है, इसलिए उसे शेल्ट होम भेज दिया जाए। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, लड़की का घर पर ही रेप किया गया था, हालांकि आरोपी की पहचान उजागर नहीं की गई है।
ब्राजील में सिर्फ 20 हफ्ते तक अबॉर्शन की इजाजत
ब्राजील में सिर्फ बलात्कार या फिर गंभीर भ्रूण समस्या से जूझ रही महिला को ही 20 हफ्तों तक अबॉर्शन की कानूनी इजाजत है। ब्राजीलिया यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर देबोरा डिनिज ने इस पूरे मामले पर कहा- ब्राजील और लैटिन अमेरिकी देश जहां अबॉर्शन अपराध है, वहां इस तरह की कानूनी पेचीदगी इसे और मुश्किल बना देती हैं।
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के फैसले से छिड़ी बहस
अबॉर्शन को लेकर अमेरिका सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पश्चिमी देशों में नई बहस शुरू हो गई है। बीते 24 जून को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने 50 साल पुराने पुराने 'रो बनाम वेड' फैसले को पलटते हुए गर्भपात की संवैधानिक सुरक्षा खत्म कर दी है। इसके बाद से अमेरिका के अलग अलग शहरों में विरोध प्रदर्शन का सिलसिला जारी है।
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