ब्रिटेन के कुछ स्कूलों में एक बार फिर पढ़ाई के लिए कड़ाई होगी। गलती करने पर बच्चों को डांट-फटकार लगाई जाएगी। सख्त अनुशासन का दौर फिर शुरू हो सकता है। इसकी वजह स्कूलों में कड़े अनुशासन में ढील के बाद बच्चों का लगातार खराब होता परिणाम है।
अब कुछ निजी स्कूलों ने इससे निपटने के लिए पुराने कड़े अनुशासन वाले पुराने तरीके से पढ़ाई का विकल्प सुझाया है। इसके लिए निजी स्कूल माता-पिता से इजाजत के साथ ज्यादा फीस मांग रहे हैं। यह प्रस्ताव उत्तरी लंदन की मिशैला कम्युनिटी स्कूल की प्रधानाध्यापक कैथरीन बीरबल सिंह ने दिया। इसके बाद लंदन में बहस तेज हो गई। मामले ने राजनीतिक तूल पकड़ लिया और देश दो धड़ों में बंट गया।
विरोधी बोले- स्कूलों को शिक्षा के केंद्र के तौर पर देखें
वहीं इसका विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि हम स्कूलों को शिक्षा के केंद्र के तौर पर देखते हैं न कि सफलता के रॉकेट लॉन्चिंग पैड की तरह। दूसरी ओर, इस पद्धति के विरोधी कह रहे हैं कि बच्चों के विकास के लिए सख्त अनुशासन ही विकल्प नहीं है।
उनकी सराहना, मेरिट पॉइंट्स के जरिए भी उन्हें बेहतर करने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं। कुछ समाजशास्त्री तर्क देते हैं कि वयस्क जिसे कठोरता बताते हैं, बच्चे वह अनुशासन पसंद करते हैं। उन्हें यह एहसास रहता है कि इससे उनकी तरक्की और विकास होगा।
1960 में ग्रामर स्कूल बंद कर दिए गए
दरअसल, क्लासरूम पॉलिटिक्स ब्रिटेन में क्लास पॉलिटिक्स का हिस्सा रही है। ब्रिटेन में अलग-अलग वर्ग के लोगों के बच्चों के लिए अलग स्कूल रहे हैं। रोनाल्ड दहल अपनी किताब ‘द एगोनी’ में लिखते हैं- ब्रिटेन के ग्रामर स्कूलों में बच्चों को किसी गलती पर या कुछ याद न कर पाने पर तब तक पीटा जाता था, जब तक कि शरीर से खून न निकल आए, फिर चाहे वे राजकुमार हों या किसी गरीब के बच्चे।
1960 में ये ग्रामर स्कूल बंद कर दिए गए। नए कॉम्प्रिहेंसिव स्कूल खुले। पुराने तरीके छोड़ दिए गए। इसके बाद ब्रिटेन में सनबीम स्कूलों का दौर आया, इनमें सख्त अनुशासन की कोई जगह नहीं थी।
18 साल की उम्र तक बच्चों की परीक्षा नहीं ली जाती
ब्रिटेन के स्कूलों में 18 साल की उम्र तक बच्चों की परीक्षा नहीं ली जाती। वहां ग्रेडिंग सिस्टम लागू है। इसमें भी सिर्फ दो ग्रेड दिए जाते हैं- ए और ए स्टार। बच्चों की कॉपी पर शिक्षक लाल निशान नहीं लगाते। पूर्व शिक्षक टॉम बेनेट कहते हैं- अगर बच्चा सीखना न चाहे तो उसके साथ सख्ती जरूरी है।
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