ब्रिटेन में डेंटल इमरजेंसी जैसे हालात बन गए हैं। डेंटिस्ट के इंतजार में कई लोगों की हालत इतनी खराब हो गई है कि वह खुद ही दांत उखाड़ ले रहे, ताकि दूसरे दांत बच जाएं। जिसने डेंटिस्ट से इलाज का इंतजार किया, उनमें से कई को दर्द के कारण इमरजेंसी में भर्ती तक कराना पड़ रहा है। भर्ती होने पर भी डेंटिस्ट से इलाज कराना संभव नहीं हो रहा है। एक महिला ने तो इन्हीं हालातों से तंग आकर अपने 13 दांतों को खुद से उखाड़ लिया। सरकारी अस्पतालों में डेंटिस्ट की भारी कमी का आलम यह है कि बिना इलाज किए ही मरीज को लौटा दिया जा रहा है। लोग डेंटिस्ट से मिलने के लिए नंबर लगा लेते हैं और समय पर पहुंचे तो पता चलता है कि अपॉइंटमेंट रद्द हो चुका। सरकारी अस्पताल में काम कर रहे डेंटिस्ट बताते हैं, ‘कोरोना के कारण वेतन में कमी की गई तो पिछले साल ही लगभग 2000 डेंटिस्ट काम छोड़ गए। पिछले दशक से सरकार की ओर से वित्तीय सहयोग बहुत कम मिला। नए डेंटिस्ट कम रखे गए।'
1 लाख लोगों के लिए सिर्फ 32 डेंटिस्ट
अब स्वास्थ्य विभाग ने 3 लाख से ज्यादा डेंटिस्ट की नियुक्ति के लिए 400 करोड़ रुपए देने का ऐलान किया है, लेकिन यह तुरंत हो नहीं होगा। ब्रिटेन के सरकारी अस्पतालों में 1 लाख लोगों के इलाज के लिए सिर्फ 32 डेंटिस्ट ही हैं। दांत के दर्द से परेशान 30 लाख से ज्यादा लोगों को 64 किलोमीटर घूम कर भी इलाज की सुविधा नहीं मिल रही है। जून 2021 तक के आंकड़े बता रहे हैं कि जरूरत के मुकाबले सिर्फ 33% लोग ही डेंटिस्ट के पास जाकर इलाज करा सके।
सिर्फ पेन किलर का प्राइवेट अस्पताल ले रहे 38 हजार
दांत के दर्द के लिए किसी निजी अस्पताल जाने में लोगों से इलाज के पहले ही 19 हजार रुपए मांगे जा रहे हैं। कई लोगों ने खुलकर बताया कि दवा के रूप में सिर्फ पेनकिलर दिए जाने पर भी उनसे 38 हजार रुपए वसूल लिए गए।
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