चीन की राजधानी बीजिंग 2021 तक दुनिया के सबसे प्रदुषित शहरों में शुमार थी। शहर में इस कदर प्रदूषण था कि तियानमेन स्क्वायर से आसपास की इमारतें, चारों ओर फैली पहाड़ियां और हरे-भरे पेड़ भी धुंध के कारण नजर नहीं आते थे। इस वजह से विंटर ओलिंपिक के खटाई में पड़ जाने का भी खतरा था, लेकिन अब ऐसा नहीं है। बीजिंग की हवा इन दिनों इतनी स्वच्छ है कि ओलिंपिक में हिस्सा ले रहे खिलाड़ी दूर से ही शहर के चारों ओर पहाड़ों और हरी भरी वादियों को देख सकते हैं।
प्रदूषण से निपटने के लिए चीन के उपाय
शिकागो स्थित एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए कई प्रोजेक्ट शुरू किए। सरकारी योजनाओं को कड़ाई से लागू किया गया। कोयले से चलने वाली फैक्ट्रियों के लिए सख्त नियम बनाए गए। एयर पॉल्यूशन रोकने के लिए सड़कों पर कारों की संख्या कम की गई। घरों में कोयले से चलने वाले बॉयलरों को गैस या इलेक्ट्रिक हीटर में बदला गया।
चाइनीज सरकार की तरफ से किए गए इन उपायों का असर भी नजर आता है। चीन में पिछले साल लिमिट से 6 गुना ज्यादा पॉल्यूशन था, लेकिन अब सब कंट्रोल है। चीन 2060 तक कार्बन न्यूट्रल होने के लिए प्रतिबद्ध है। हालांकि, चीन अभी भी बिजली के लिए कोयले पर बहुत अधिक निर्भर है। इसके बावजूद कोयले से होने वाले नुकसान को रोकने में महत्वपूर्ण प्रगति की है। विंड और सोलर जैसे स्रोतों से स्वच्छ ऊर्जा विकसित कर रहा है।
बीजिंग के नाम दर्ज हुआ अनोखा रिकॉर्ड
ओलिंपिक के बहाने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग अपनी सियासी ताकत दिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहते थे। इस वजह से इस इवेंट की भव्यता पर लगभग 29 हजार करोड़ रुपए की भारी भरकम रकम खर्च की गई। विंटर ओलिंपिक गेम्स की शुरुआत के साथ ही बीजिंग ने एक अनूठा रिकॉर्ड भी बना लिया है। यह दुनिया का पहला ऐसा शहर बन गया है जहां समर और विंटर दोनों ओलिंपिक हुए हैं। 2008 में बीजिंग में समर ओलिंपिक का आयोजन किया गया था।
भारत-अमेरिका समेत 5 देशों ने किया बायकॉट
विश्व की दो महाशक्तियां अमेरिका और चीन व्यापार और इंटरनेशनल रिलेशंस के कई मुद्दों पर एक-दूसरे के आमने-सामने हैं। इसका असर विंटर ओलिंपिक पर भी पड़ा है। चीन पहली बार विंटर गेम्स होस्ट कर रहा है। अमेरिका सहित कई पश्चिमी देशों ने चीन में (विशेषकर शिंजियान में) मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों को उठाते हुए ओपनिंग और क्लोजिंग सेरेमनी में अपने किसी अधिकारी को भेजने से इनकार कर दिया है।
भारत ने भी इसका डिप्लोमैटिक बायकॉट किया है। हालाांकि, भारत के बायकॉट का कारण अलग है। पिछले साल गलवान में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। चीन ने इस झड़प में घायल हुए एक सैनिक को टॉर्च बियरर बना दिया। इसके बाद भारत ने चीन पर खेल में राजनीति लाने का आरोप लगाते हुए डिप्लोमैटिक बायकॉट किया है।
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