पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने 21 मार्च को भारत से लगते सिंध प्रांत में कोयले के दो पावर प्लांट का उद्धाटन किया है। ये पावर प्लांट चीन के CPEC प्रोजेक्ट यानी चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर के तहत बनाए गए हैं।
भारत के विरोध जताने के बावजूद चीन CPEC में जमकर निवेश कर रहा है। दरअसल, सिंध के जिस इलाके थारपारकर में इन पावर प्लांट का उद्घाटन किया गया है वो गुजरात के कच्छ वाले इलाके से बिल्कुल सटा हुआ है। कच्छ से पाकिस्तान के थारपारकर की दूरी सिर्फ 133 किलोमीटर है।
'पावर प्लांट चीन-पाकिस्तान की दोस्ती की मिसाल'
थारपारकर में पावर प्लांट का उद्घाटन करते हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने कहा कि ये दोनों देशों के बीच बढ़ती दोस्ती और मजबूत साझेदारी की मिसाल है। इस दौरान पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी भी मौजूद थे।
रिपोर्ट्स के मुताबिक 1320 और 330 मेगावाट की कैपिसिटी वाले दोनों पावर प्लांट से पाकिस्तान में बिजली की कमी पूरी होगी। आर्थिक तंगी के चलते पाकिस्तान के लोगों को बार-बार ब्लैक आउट का सामना करना पड़ रहा है। चीन के बनाए पावर प्लांट से पाकिस्तान के करीब 40 लाख लोगों को बिजली मिलने का दावा किया गया है।
भारत के पर्यावरण को भी खतरा
द प्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के सिंध प्रांत में चीन के प्रोजेक्ट्स से भारत के पर्यावरण और सुरक्षा को खतरा है। थारपारकर में चीन कोल माइनिंग का काम भी शुरू करने वाला है। भारत के बॉर्डर से इसकी साइट की दूरी केवल 40 किलोमीटर है। प्रोजेक्ट के लिए लगभग 10 लाख पेड़ काटे गए हैं। जबकि इस इलाके में कई तरह के जीव और पौधे विलुप्त होने की कगार पर हैं।
क्या है CPEC
चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की महत्वाकांक्षी योजना है। इसकी शुरुआत 2013 में की गई थी। इसमें पाकिस्तान के ग्वादर से चीन के काशगर तक 50 बिलियन डॉलर (करीब 3 लाख करोड़ रुपए) की लागत से आर्थिक गलियारा बनाया जा रहा है। इसके जरिए चीन की अरब सागर तक पहुंच हो जाएगी। CPEC के तहत चीन सड़क, बंदरगाह, रेलवे और ऊर्जा प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहा है।
भारत को CPEC से इसलिए एतराज
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