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तालिबान की आपदा में अवसर तलाश रहा ड्रेगन:अमेरिका ने सीज किए अफगानिस्तान के फंड, अब आर्थिक मदद के लिए चीन की तरफ देख रहे तालिबानी

बीजिंग\काबुल2 वर्ष पहले
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अफगानिस्तान में खनन औपचारिक उद्योग नहीं है। - Dainik Bhaskar
अफगानिस्तान में खनन औपचारिक उद्योग नहीं है।

अमेरिका ने अफगानिस्तान में तालिबानी शासन काबिज होते ही उसका फंड फ्रीज कर दिया। IMF ने भी फंडिंग पर रोक लगा दी। ऐसे में बंदूक की भाषा से समझाने वाला तालिबान खुद मदद की आस लिए घुटनों पर आने लगा है। उसने आर्थिक मदद के लिए चीन से गुहार लगाई है। दूसरी तरफ, अफगानिस्तान की बढ़ती आर्थिक आपदा के बीच चीन भी अपने लिए बड़े मौके की फिराक में है।

दोनों पक्षों की आपसी बातचीत इसी ओर इशारा करती है। तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने शुक्रवार को कहा कि चीन ने अफगानिस्तान में शांति और सुलह को बढ़ावा देने में रचनात्मक भूमिका निभाई है। इसलिए अब वह देश के पुनर्निर्माण में भी योगदान दे।

चीन का पलड़ा भारी
तालिबान से सौदेबाजी में चीन का पलड़ा भारी दिखाई देता है। ऐसे में चीन लाभ उठा सकता है कि रूस-अमेरिका के विपरीत उसने अफगानिस्तान में लड़ाई नहीं लड़ी है, तो उसे फायदा मिलेगा। हालांकि चीन की अपनी चिंता भी है। वह पश्चिमी शिनजियांग क्षेत्र में धार्मिक उग्रवाद को अस्थिर शक्ति बताता रहा है।

साथ ही लंबे समय से चिंतित है कि तालिबान-नियंत्रित क्षेत्र का उपयोग अलगाववादी ताकतों को बढ़ाने के लिए किया जाएगा। इसीलिए पिछले महीने चीन के विदेश मंत्री और तालिबान की बैठक में शाहीन ने आश्वस्त किया था कि अफगानिस्तान उदारवादी इस्लामी नीति अपना सकता है। ऐसे में संभव है कि तालिबान और चीन में सहमति बन जाए।

गठजोड़ संभव क्योंकि... तालिबान के पास तकनीक नहीं जबकि, चीन वर्ल्ड लीडर
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक साल 2020 में तालिबान की अवैध खनन से कमाई 3,480 करोड़ रुपए रही थी। हालांकि यह राशि अफगानिस्तान में दबे बेशकीमती प्राकृतिक संसाधनों के मूल्य के आगे कुछ भी नहीं है। चीन दुर्लभ खनिजों को खोदने में वर्ल्ड लीडर है। जबकि तालिबान के पास इस संपदा को निकालने की तकनीक नहीं है। इसलिए संभव है कि दोनों में ऐसा गठजोड़ बने जो दोनों के फायदे का सौदा हो।

अफगानिस्तान में अब तक का सबसे बड़ा विदेशी निवेश चीन का ही

तालिबान अब तक अफीम और हेरोइन के कारोबार से ही कमाई करता रहा है। हालांकि 2010 की अमेरिकी सेना के विशेषज्ञों और भूविज्ञानियों की रिपोर्ट बताती है कि दुनिया के सबसे गरीब देशों में से एक अफगानिस्तान की जमीन में लोहा, कॉपर, लिथियम, सोने, कोबाल्ट और अन्य दुर्लभ खनिज के बड़े भंडार मौजूद हैं।

अमेरिकी आकलन के मुताबिक, इस अकूत खनिज संपदा का मूल्य साल 2010 में 75 लाख करोड़ रुपए था, जो अब बढ़कर तीन गुना हो चुका है। तालिबान चीन की मदद से इस खजाने को निकाल सकता है। मौजूदा दौर में ये खनिज इसलिए भी अहम हैं क्योंकि इनका इस्तेमाल बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रिक कारों, मोबाइल फोन, टीवी कंप्यूटर, लेजर और बैटरी बनाने में हो रहा है।

लीथियम की मांग सालाना 20% की दर से बढ़ रही
इलेक्ट्रिक कार, स्मार्टफोन, लैपटॉप की बैटरी में इस्तेमाल होने वाले लिथियम की दुनिया में एकाएक मांग बढ़ी है। इसकी मांग सालाना 20% की दर से बढ़ रही है। कुछ साल पहले इसकी मांग 5 से 6% थी। पश्चिमी देशों ने भले ही कहा हो कि वे तालिबान के साथ काम नहीं करेंगे, लेकिन चीन, रूस और पाकिस्तान उसके साथ काम करने के इच्छुक हैं। अफगानिस्तान में सबसे बड़ा विदेशी निवेश करने वाला चीन इस दौड़ में आगे निकल सकता है। हालांकि तालिबानी नेताओं को खनिज के खजाने को निकालने में सालों लगेंगे क्योंकि इसके लिए एक तंत्र बनाना होगा।

अमेरिकी सेना पर हमला बर्दाश्त नहीं, करारा जवाब देंगे: बाइडेन
अफगानिस्तान में तेजी से बदलते हालात पर अपने ही देश में घिरे अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने शुक्रवार को देश को संबोधित किया। अफगानिस्तान से सेना हटाने को सही ठहराते हुए राष्ट्रपति ने कहा, हमने त्याग किया, बलिदान दिया, अब अफगानिस्तान में युद्ध खत्म करने का समय आ गया था। हालांकि उन्होंने तालिबानियों को चेताया कि अमेरिकी सेना पर हमला बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इसका पूरी ताकत से जवाब देंगे। बाइडेन ने ISIS और अन्य आतंकी संगठनों से हमले का खतरा बताया। उन्होंने कहा, ब्रिटेन, जर्मनी और फ्रांस सहित NATO देश साथ खड़े हैं। जल्द ही इस मामले में जी-7 देशों की बैठक होगी।

महिला एंकर और पत्रकार ने काम करने का अधिकार मांगा
अफगानिस्तान की महिला पत्रकारों ने तालिबान से काम करने का अधिकार देने की मांग की है। रेडियो टेलीविजन अफगानिस्तान की एंकर शबनम खान और पत्रकार खदीजा ने कहा है कि हम काम पर लौटना चाहती हैं, लेकिन अनुमति नहीं दी जा रही है। खदीजा ने कहा कि तालिबान ने नए डायरेक्टर की नियुक्ति की है। हमने उनसे भी बात की, लेकिन नतीजा नहीं निकला। तालिबान ने कहा है कि जल्द ही इस बारे में कोई निर्णय लिया जाएगा।