पाएं अपने शहर की ताज़ा ख़बरें और फ्री ई-पेपर
Install AppAds से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप
चीन की संसद ने मंगलवार को विवादित राष्ट्रीय सुरक्षा कानून पास कर दिया। इस कानून के खिलाफ हॉन्गकॉन्ग समेत दुनियाभर में आक्रोश है। अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन जैसे देशों ने कानून का विरोध किया है। कहा जा रहा है कि चीन हॉन्गकॉन्ग पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए यह कानून लागू कर रहा है। आलोचकों का कहना है कि कानून से हॉन्गकॉन्ग की स्वतंत्रता खतरे में आ जाएगी।
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट (एससीएमपी) के मुताबिक, इस कानून को नेशनल पीपुल्स कांग्रेस स्टैंडिंग कमेटी ने सभी सदस्यों की सहमति से पास किया। कानून के तहत हॉन्गकॉन्ग में देशद्रोह, आतंकवाद, विदेशी दखल और विरोध करने जैसी गतिविधियों के लिए दोषी व्यक्ति को अधिकतम उम्रकैद की सजा का प्रावधान होगा।
15 मिनट में कानून को मंजूरी मिली
सूत्रों ने बताया कि नेशनल पीपुल्स कांग्रेस स्टैंडिंग कमेटी के 162 सदस्यों ने 9 बजे बैठक शुरू होने के 15 मिनट के भीतर इस कानून को मंजूरी दे दी। कानून के पास होने से पहले हॉन्गकॉन्ग के केवल कुछ प्रतिनिधियों ने ही मसौदे को पारित होने से पहले देखा था।
कानून लागू होने के बाद क्या होगा
राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू होने के बाद हॉन्गकॉन्ग में अलगाववादी ताकतों, आतंकवाद, तोड़फोड़ और देशद्रोह जैसी गतिविधियों में शामिल लोगों पर आपराधिक धाराएं लगाकर उन्हें सजा दिया जा सकेगा। लोगों के प्रदर्शन करने पर रोक होगा। इस कानून के तहत चीन हॉन्गकॉन्ग के स्कूलों में राष्ट्रीय सुरक्षा के बारे में शिक्षा की देखरेख कर सकेंगे।
चीन ने क्या कहा
इस कानून को लेकर चीन का कहना है कि आतंकवाद और अलगाववाद से निपटने के लिए यह कानून बेहद जरूरी है। साथ ही चीन ने हॉन्गकॉन्ग को लेकर अपने ऊपर लगने वाले आरोपों को खारिज किया है। उनका कहना है कि ये चीन का आंतरिक मामला है।
23 साल पहले चीन को हॉन्गकॉन्ग सौंपा गया था
एक सूत्र ने न्यूज एजेंसी सिन्हुआ को बताया कि मंगलवार दोपहर को पहली बार कानून को पूरी तरह से जनता के सामने रखा जाएगा। यह कानून हॉन्गकॉन्ग में 1 जुलाई से प्रभावी हो जाएगा। 23 साल पहले 1997 में ब्रिटेन ने इसी दिन हॉन्गकॉन्ग को चीन के हवाले किया था।
वन कंट्री टू सिस्टम के तहत चीन को सौंपा गया था
1841 के बाद से 1997 तक यह ब्रिटेन के कब्जे में था। ब्रिटेन ने चीन को वन कंट्री टू सिस्टम के समझौते के तहत चीन को सौंपा था। इस समझौते के तहत हॉन्गकॉन्ग को वह आजादी और लोकतांत्रिक अधिकार दिया गया था, जो चीन में लोगों को हासिल नहीं है। उन्हें चीन के लोगों की तुलना में ज्यादा स्वतंत्रता की गारंटी दी गई थी।
18 जून को जी7 देशों ने चीन से सुरक्षा कानून को लागू करने के फैसले पर फिर से विचार करने के लिए कहा था। लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों ने रविवार को इस कानून के खिलाफ शांतिपूर्ण मार्च निकाला था। मार्च को गैरकानूनी बताते हुए पुलिस ने 53 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया था।
दुनियाभर में कानून की आलोचना हुई
पिछले महीने ही चीन की संसद में विवादास्पद राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को लागू करने की मंजूरी दी गई थी। इसके बाद हॉन्गकॉन्ग में प्रदर्शन हुए थे और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी आलोचना की गई थी। हॉन्गकॉन्ग के लोगों का मानना है कि राष्ट्रीय सुरक्षा देश के स्थायित्व का आधार है। इसमें छेड़छाड़ से उनके मौलिक अधिकारों का हनन होगा। वहीं, चीन का कहना है कि उनके पास हमेशा से हॉन्गकॉन्ग के मूल कानून में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को लागू करने का अधिकार था।
ये भी पढ़ें
पॉजिटिव- कहीं इन्वेस्टमेंट करने के लिए समय उत्तम है, लेकिन किसी अनुभवी व्यक्ति का मार्गदर्शन अवश्य लें। धार्मिक तथा आध्यात्मिक गतिविधियों में भी आपका विशेष योगदान रहेगा। किसी नजदीकी संबंधी द्वारा शुभ ...
Copyright © 2020-21 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.