ताइवान के रक्षा क्षेत्र में घुसपैठ कर चीन उसे डराने में लगा हुआ है। शुक्रवार से अब तक पीपुल्स लिबरेशन आर्मी परमाणु हथियारोें से लैस विमानों समेत 150 से ज्यादा लड़ाकू विमान भेज चुकी है। चीन के इस कदम को अमेरिका ने उकसावे की गतिविधि बताया है। उसने चेतावनी दी है कि ताइवान जलडमरूमध्य में शांति, स्थिरता में हमारा स्थायी हित है, इसलिए हम उसकी मदद करते रहेंगे। यहां जानते हैं कि चीन, क्यों खफा है। विमान भेजने के पीछे क्या मंशा है।
ताइवान क्या कर रहा, जिससे चीन नाराज है?
चीन में गृहयुद्ध खत्म होने के बाद ताइवान अलग होकर 7 दशक से अधिक समय से स्वशासित राज्य है। भले ही चीन ने 2.4 करोड़ आबादी वाले ताइवान पर कभी शासन नहीं किया, लेकिन वह इसे अपना अविभाजित हिस्सा मानता है। राष्ट्रपति शी जिनपिंग कह चुके हैं कि जरूरत पड़ी तो ताइवान पर कब्जा करने के लिए सैन्य प्रयोग से नहीं हिचकेंगे। हाल ही में ताइवान ने ट्रांस-पैसिफिक मुक्त-व्यापार समझौते (CPTPP) में शामिल होने के लिए आवेदन दिया है। चीन इस कदम के खिलाफ है। 23 सितंबर को वह विरोध जता चुका है। बौखलाहट में वह अब ताइवान में लड़ाकू विमान भेज रहा है।
क्या चीन सैन्य बढ़त लेने में लगा हुआ है?
ऐसा संभव है, क्योंकि यदि बीजिंग, ताइपे के खिलाफ पूर्ण सैन्य कार्रवाई के लिए जाता है, तो उसे विस्तृत खुफिया जानकारी चाहिए। उसे पता करना होगा कि ताइवानी सेना कैसे जवाब देगी। इसीलिए ताइवान के रक्षा क्षेत्र में विमान भेजकर PLA मैपिंग कर रही है। यह एक तरह से कार्रवाई का पूर्व अभ्यास है।
ताइवान सैन्य ताकत में कहां मौजूद है?
ताइवान के पास चीन से मुकाबले के लिए लड़ाकू विमान नहीं है। उसका स्क्वाड्रन भी 30 साल पुराना है। अगर ताइवान, चीन के उकसावे में आकर उसकी उड़ानों की बराबरी करेगा तो गंभीर संकट में फंस जाएगा और उसकी कमजोरी सामने आ जाएगी।
चीन इस घुसपैठ से किसे संदेश दे रहा है?
हाल में ताइवान से चीन जब भी खफा हुआ, उसने विमानों से घुसपैठ की। 24 अप्रैल को अमेरिकी विदेश मंत्री ने ताइवान की रक्षा की प्रतिबद्धता जताते हुए चीन को चेतावनी दी, तो अगले ही दिन चीनी विमानों ने घुसपैठ की थी। जून में जी-7 नेताओं ने चीन को घेरते हुए ताइवान को अहम बताया।
उसके बाद PLA के 28 विमान ताइवानी सीमा में उड़े थे। पिछले हफ्ते अमेरिका, जापान, UK, न्यूजीलैंड और नीदरलैंड्स ने ओकिनावा के पास नौसैन्य अभ्यास किया था। तभी से चीन चिढ़ा हुआ है। वह घुसपैठ के बहाने ताइवान और उसके हितैषी देशों को ऐसे ही धमकाता है।
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