कोरोनावायरस पर अमेरिका समेत दुनियाभर से लगाए जा रहे आरोपों के बीच चीन ने एक आर्टिकल के जरिए सफाई पेश की है। खास बात यह है कि इस लेख की प्रस्तावना में अमेरिका के 16वें राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन का फेमस कोट भी शामिल किया गया है। आर्टिकल मे लिखा है ‘‘जैसा कि लिंकन ने कहा था- आप कुछ लोगों को हमेशा बेवकूफ बना सकते हैं। सभी लोगों को कुछ समय के लिए बेवकूफ बना सकते हैं, लेकिन आप सभी लोगों को हमेशा के लिए बेवकूफ नहीं बना सकते।’’
30 पेज और 11 हजार शब्दों का आर्टिकल
चीन का विदेश मंत्रालय पिछले कई हफ्तों से प्रेस कॉन्फ्रेंस में अमेरिकी राजनेताओं और विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ के आरोपों को लगातार खारिज करता रहा है। शनिवार को विदेश मंत्रालय ने वेबसाइट पर 30 पेज में 11 हजार शब्दों का आर्टिकल पोस्ट किया।
इस आर्टिकल में उन मीडिया रिपोर्ट्स का भी हवाला दिया गया है, जिनमें कहा गया है कि वुहान में पहला मामला आने से पहले ही अमेरिकी लोग वायरस की चपेट में आए थे। यह भी कहा गया कि यह वायरस मैन मेड नहीं है। वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी वायरस को एडिट नहीं कर सकता है।
आर्टिकल में एक टाइमलाइन भी दी गई है, इसमें कहा गया है कि चीन ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को समय पर जानकारी दी थी। उसने सारी जानकारी पारदर्शी ही रखी थी।
जर्मनी की रिपोर्ट में चीन की गलती सामने आई
चीन पर आरोप लगे हैं कि उसके यहां वुहान की लैब से ही कोरोनावायरस निकला है और चीन ने जानबूझकर दुनिया को सही समय पर चेतावनी नहीं दी। पिछले शुक्रवार को डे स्पीगल मैगजीन की एक रिपोर्ट में जर्मनी की बीएनडी स्पाई एजेंसी के हवाले से बताया गया था कि चीन ने शुरुआती चार से छह हफ्ते तक इस सूचना को दबाए रखा जबकि इस समय का इस्तेमाल वायरस से लड़ने में किया जा सकता था।
पश्चिम देशों की आलोचनाओं को भी नकारा
इस आर्टिकल में पश्चिमी देशों की उन आलोचनाओं को भी नकारा गया है, जिसमें कहा गया है कि वायरस की सबसे पहले सूचना देने वाले डॉक्टर ली वेनलियांग को जेल में डाल दिया गया। बाद में उनकी मौत भी वायरस से हो गई। आर्टिकल में कहा गया है कि डॉ.ली ने सबसे पहले जानकारी नहीं दी थी और उन्हें कभी गिरफ्तार भी नहीं किया गया। आर्टिकल के मुताबिक, डॉ. ली को अफवाह फैलाने के कारण पुलिस ने फटकार लगाई थी। उनकी मौत के बाद चीन ने उन्हें शहीदों में शामिल किया है।
वुहान वायरस या चीनी वायरस कहने पर विरोध किया
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने हाल ही में सुझाव दिया था कि कोरोनावायरस को चीनी वायरस या वुहान वायरस कहना चाहिए। आर्टिकल में इसका विरोध किया गया है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के हवाले से बताया गया है कि किसी भी वायरस का नाम देश के नाम पर नहीं रखा जा सकता है।
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