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वैज्ञानिकों को मिली बड़ी कामयाबी:डॉक्टर एक डिवाइस से दूर बैठे व्यक्ति के दिमाग की हर हरकत रिकॉर्ड कर सकेंगे; उनकी मॉनिटरिंग आसान होगी

सैन फ्रांसिस्को2 वर्ष पहले
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अब दिमाग की गतिविधियों पर नजर रखना होगा आसान, पार्किन्सन-डिप्रेशन के इलाज में मिलेगी मदद। - Dainik Bhaskar
अब दिमाग की गतिविधियों पर नजर रखना होगा आसान, पार्किन्सन-डिप्रेशन के इलाज में मिलेगी मदद।

वैज्ञानिकों ने वायरलेस डिवाइस का इस्तेमाल कर दूर बैठे व्यक्ति की दिमागी गतिविधियों को पढ़ने, उन पर निगाह रखने में सफलता हासिल की है। व्यक्ति के शरीर पर लगी इम्प्लांट डिवाइस ने लगातार वैज्ञानिकों को उसी तरह न्यूरल रिकॉर्डिंग भेजी, जिस तरह अस्पताल में उपकरणों के साथ संभव होता है। यह पहली बार है, जब वैज्ञानिकों को इस काम में कामयाबी मिली है।

नेचर बायोटेक्नोलॉजी जरनल में प्रकाशित हुआ रिसर्च
यह शोध नेचर बायोटेक्नोलॉजी जरनल में प्रकाशित हुआ है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, इस इम्प्लांट की मदद से वे पार्किन्सन बीमारी से पीड़ित रोगियों के दिमाग की गतिविधियों पर नजर रखने में सफल हुए हैं। यह शोध करीब 15 महीने चला और ये मरीज अपनी रोजमर्रा की जिंदगी जीते रहे। डिवाइस के जरिए भेजी गई सूचनाओं के आधार पर शोधकर्ता दूर से ही हर मरीज को दिए जाने वाले डीप ब्रेन स्टिम्युलेशन (डीबीएस) का स्तर ठीक करने में सक्षम हो सके।

दिमाग की गतिविधियों पर नजर रखना चुनौती
दरअसल, पार्किन्सन, सीजर डिसऑर्डर्स, डिप्रेशन जैसे रोग से पीड़ित लोगों के इलाज में दिमाग के कुछ क्षेत्रों को स्टिम्युलेट करने में इस्तेमाल किए जाने वाले इलेक्ट्रिकल सिग्नल को DBS कहा जाता है। इन बीमारियों में दिमाग की गतिविधियों पर नजर रखना हमेशा से चुनौती रहा है। मरीज जब तक हॉस्पिटल में रहे, तब तक तो यह किया जा सकता था। उसके घर लौटते ही यह संभव नहीं हो पाता था। मरीजों को हॉस्पिटल के चक्कर लगाने पड़ते थे। डॉक्टर को भी सही DBS देने के लिए इंतजार करना पड़ता था।

यह ऐसी पहली डिवाइस
शोधकर्ता फिलिप स्टार बताते हैं कि उन्होंने हर मरीज के कॉर्टेक्स में इलेक्ट्रोड इम्प्लांट किए। इससे मरीज की न्यूरल गतिविधि की जानकारी उन्हें मिलने लगी। इस डेटा की मरीज की गतिविधियों से पुष्टि की गई तो वे बिल्कुल समान निकलीं। इस तरह अब शोधकर्ता हर मरीज को नियंत्रित DBS भेजने में सक्षम हो गए हैं। शोध के सह लेखक रो’ई गिरॉन के मुताबिक यह पहली डिवाइस है, जो दिमाग के पूरे सिग्नल को लगातार और सीधे डॉक्टर के पास भेजन में सक्षम है।

वैज्ञानिक बोले- गोपनीय काम के वक्त निकाल दें
दिमाग को हर समय पढ़े जाने से निजता के उल्लंघन की बात कही जा रही है। डॉ. स्टार के मुताबिक, मरीज को चुनना होगा कि वह डॉक्टर को दिमाग में कितना झांकने की अनुमति देते हैं। वे जब भी कोई ऐसा काम करें, जिसे वे गोपनीय रखना चाहते हैं, तो डिवाइस उतार दें या रिकॉर्डिंग बंद कर सकते हैं।

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