अफगानिस्तान को लगातार दूसरे दिन भूकंप के दूसरे बड़े झटके का सामना करना पड़ा है। गुरुवार सुबह, यानी आज अफगानिस्तान के कुछ हिस्सो में 4.3 तीव्रता का भूकंप महसूस किया गया। हालांकि, इसमें अभी तक किसी जान माल के नुकसान की खबर नहीं है।
नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी ने बताया की भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान फैजाबाद से 76 किलोमीटर दूर था। इससे पहले बुधवार को पूर्वी अफगानिस्तान में आए भूकंप की वजह 1,000 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 1,500 से ज्यादा घायल हो गए थे।
जानिए क्यों अशांत रहता है यह इलाका
करीब चार करोड़ वर्ष पहले भारतीय उपमहाद्वीप यूरेशियाई प्लेट से टकराया था। इसकी वजह से हिमालय पर्वत का निर्माण हुआ। यह पर्वत आज भी हर साल एक सेमी ऊपर ऊंचा उठ रहा है। इसी हलचल के कारण अक्सर यहां भूकंप आते हैं।
इसके अलावा लगातार टक्कर से परतों की दबाव सहने की क्षमता खत्म होती जाती हैं। परतें टूटने के साथ उसके नीचे मौजूद ऊर्जा बाहर आने का रास्ता खोजती है। इस वजह से हिमालय क्षेत्र में भूकंप आता है। अफगानिस्तान, पाकिस्तान और उत्तर भारत का कुछ हिस्सा हिमालयी रेंज में आता है। इस वजह यहां हमेशा भूकंप का खतरा बना रहता है।
अफगानिस्तान में भूकंप से 1000 लोगों की मौत, 1500 घायल; पाकिस्तान में भी झटके महसूस किए गए
दुनिया में हर साल 20,000 हजार भूकंप आते हैं...
हर साल दुनिया में कई भूकंप आते हैं, लेकिन इनकी तीव्रता कम होती है। नेशनल अर्थक्वेक इंफोर्मेशन सेंटर हर साल करीब 20,000 भूकंप रिकॉर्ड करता है जिसमें से 100 भूकंप ऐसे होते हैं जिनसे नुकसान होता। भूकंप कुछ सेकेंड या कुछ मिनट तक रहता है, लेकिन अब तक के इतिहास में सबसे ज्यादा देर तक रहने वाला भूकंप 2004 में हिंद महासागर में आया था। यह भूकंप 10 मिनट तक रहा था।
बुधवार को आए भूकंप को देखते हुए तालिबान ने कैबिनेट की इमेरजेंसी मीटिंग बुलाई थी। सरकार के प्रवक्ता का कहना है कि भूकंप से प्रभावित लोगों की मदद करने के अलावा, सभी इमरजेंसी संगठनों को बचाव दल भेजने का काम सौंपा गया था।
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