इंडोनेशिया में भूकंप से अब तक 268 की मौत:कई स्कूली बच्चों ने भी जान गंवाई, 13 हजार बेघर; पार्किंग-सड़कों पर इलाज
ये इंडोनेशिया में भूकंप के बाद की तस्वीरें हैं। सबसे ज्यादा तबाही सियांजुर में हुई है।
इंडोनेशिया के मुख्य आईलैंड जावा में सोमवार को आए भूकंप से अब तक कुल 268 लोगों की मौत हो चुकी है। 700 से ज्यादा लोग घायल हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मरने वालों में कई स्कूली बच्चे भी शामिल हैं। भूकंप में 2 हजार से ज्यादा घर तबाह हो गए। 13 हजार लोग बेघर हैं। अस्थाई कैंपों, पार्किंग और सड़कों पर ही घायलों का इलाज किया जा रहा है।
सबसे ज्यादा तबाही हुई है सियांजुर कस्बे में, जहां भूकंप के दौरान 3 मिनट तक इमारतें हिलती रहीं। सबसे ज्यादा मौतें भी यहीं हुई हैं। हालांकि, मौतों की सरकारी आंकड़ा जारी नहीं किया गया है।
पहले एक तस्वीर देखिए और फिर जानिए भूकंप के 24 घंटे का हाल...
इंडोनेशिया के सियांजुर में रेस्क्यू के दौरान बचाई गई घायल बच्ची को अस्पताल ले जाता रेस्क्यू वर्कर।
घनी आबादी में घर ढह गए, मलबे में अभी भी तलाश जारी
- पश्चिमी जावा द्वीप में सोमवार दोपहर 5.6 तीव्रता का भूकंप आया। इसका केंद्र जमीन में ज्यादा नीचे नहीं था। केंद्र 10 किमी. नीचे था।
- अधिकारियों के मुताबिक, ज्यादा गहराई में भूकंप का केंद्र होता तो इतनी तबाही नहीं मचती। तब भूकंप सतह पर ज्यादा दूरी तक फैलता और उसकी ताकत घटती जाती।
- इंडोनेशिया की जियोफिजिकल एजेंसी के मुताबिक, भूकंप आने के बाद 25 आफ्टर शॉक्स आए। इससे लोगों को संभलने का मौका नहीं मिला।
- सियांजुर सबसे ज्यादा प्रभावित इसलिए हुआ, क्योंकि वहां आबादी काफी घनी है। यहां भूस्खलन आम बात है। घर ज्यादा मजबूती से नहीं बने हैं।
- हादसे में कितने लोग मारे गए हैं, यह आंकड़ा अभी पूरी तरह साफ नहीं है। रातभर रेस्क्यू वर्क चला। मलबे में घायलों और बॉडीज की तलाश जारी है।
अस्पतालों में बिजली नहीं, बाहर ही इलाज शुरू किया
सियांजुर में अस्पताल में केवल बेहद गंभीर घायलों को भर्ती किया गया। ज्यादातर घायल अस्पताल के बाहर पार्किंग में इसी तरह पड़े रहे।
सियांजुर के प्रशासनिक चीफ हरमन सुहेरमान ने कहा, "मलबा गिरने की वजह से ज्यादातर लोग घायल हुए हैं। पास ही एक गांव हैं, जहां से लगातार एंबुलेंस में घायल अस्पताल पहुंचाए जा रहे हैं। इस गांव में कई ऐसे परिवार थे, जिन्हें हटाया नहीं गया था। कई घायलों का इलाज अस्पताल के बाहर कार पार्किंग और सड़कों पर चल रहा है। भूकंप के बाद कई घंटों तक अस्पतालों में बिजली नहीं थी। भूकंप प्रभावित इलाकों में इलेक्ट्रिसिटी बहाल करने में 3 दिन लगेंगे। रेस्क्यू अभियान अभी भी जारी है।"
3 चश्मदीदों की जुबानी भूकंप की कहानी
तस्वीर जकार्ता की है, यहां भूकंप के बाद लोग अपने दफ्तरों से बाहर निकल आए।
पहला: इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता तक भी भूकंप के झटके महसूस किए गए, जो कि भूकंप के केंद्र से करीब 100 किलोमीटर दूर है। दक्षिणी जकार्ता में काम करने वाली विदि प्रिमधानिया ने कहा- झटके इतने ताकतवर थे कि हम लोग तुरंत इमरजेंसी रास्ते से इमारत के बाहर आ गए।
दूसरा: जकार्ता में काम करने वाले एक अन्य व्यक्ति ने कहा- भूकंप यहां आम बात हैं। हमने पहले उसी प्रॉसेस को अपनाया, जो अक्सर करते हैं। हम कोनों में बैठ गए पर झटके बहुत ज्यादा ताकतवर थे और हमें बाहर भागना पड़ा। 14 मंजिल से नीचे उतरने के बाद मुझे चक्कर आ गए और पैर कांपने लगे।
तीसरा: सियांजुर पुलिस चीफ दोनी हरमावन ने बताया कि भूकंप के बाद भूस्खलन हुआ और मलबे में कुछ लोग दब गए। हमने एक महिला और बच्चे को बचाया। तीसरा आदमी बुरी तरह घायल था, वो नहीं बच पाया।
इंडोनेशिया के बाद भूकंप की कुछ और तस्वीरें...
सियांजुर में भूकंप में मारे गए व्यक्ति के शव को दफनाने की तैयारी करते लोग।
भूकंप में अपने बेटे को खो चुकी महिला। उसे भी चोटें आई हैं। अभी भी कई लोग अपने रिश्तेदारों को मलबे में तलाश कर रहे हैं।
भूकंप के दौरान सियांजुर के अस्पताल में भर्ती मरीजों को तुरंत सुरक्षित जगहों पर शिफ्ट किया गया।
मलबे में दबे एक बुजुर्ग को रेस्क्यू वर्कर्स ने बचाया और फिर व्हील चेयर पर उन्हें इलाज के लिए ले गए।
जावा के गवर्नर रिदवान कामिल ने बताया कि लोग डरे हुए हैं। घटनास्थल पर अभी भी बहुत सारे लोग फंसे हुए हैं, समय के साथ घायल लोगों की और मृतकों की संख्या बढ़ेंगी।
अस्पताल में जगह नहीं होने पर लोगों को फुटपाथ पर ड्रिप लगाई गई, जबकि हेल्थ वर्कर्स ने टॉर्च की रोशनी में मरीजों को टांके लगाए।
कुगेनांग में 48 साल के डेडेन हमदानी अपने बर्बाद हुए घर को देख रहे हैं। वो चीजें तलाश रहे हैं जो तबाही में शायद सलामत बच गई हों।
सियांजुर में भूकंप के बाद जब इस व्यक्ति ने अपने तबाह घर को देखा तो खुद को रोने से नहीं रोक पाया।
सियांजुर की घनी आबादी वाली बस्तियों में नुकसान ज्यादा हुआ है। यहां घर मलबे में तब्दील हो गए हैं।
यह फोटो कुगेनांग के एक किंडरगार्टन की है, जिस वक्त भूकंप आया उस वक्त यहां बच्चे नहीं थे।
इस परिवार का घर तबाह हो गया। पूरी फैमिली ने अपने तबाह हो चुके घर के पास टेंट लगाकर रात गुजारी।
भूंकप में कम से कम 2,200 घर तबाह हो गए हैं। लोगों के लिए अलग-अलग जगह कैंप बनाए गए हैं।