चैट जीपीटी जैसे चैट बोट से अमेरिका में स्कूल, कॉलेज नकल बढ़ने की आशंका से प्रतिबंध लगा रहे हैं। लेकिन कई संस्थान ऐसे हैं जो इनका सामना करने की रणनीति पर काम शुरू कर चुके हैं। वे छात्रों में क्रिटिकल थिंकिंग को बढ़ा रहे हैं। उन्हें तेजी से बढ़ रहे आर्टिफिश्यल इंटेलीजेंस टूल को लेकर मच रहे शोर पर सवाल उठाने को प्रेरित कर रहे हैं। उनके दुष्प्रभावों के बारे में सोचने को कह रहे हैं।
न्यूयॉर्क सिटी पब्लिक स्कूल कंप्यूटर साइंस के शिक्षकों को प्रशिक्षित कर रहा है जिससे वे छात्रों को एआई के खतरों को जानने और पहचानने में मदद करें। उन्हें चेहरे को पहचानने वाले एलगोरिदम की खामियां बताई जा रही हैं जो कि अश्वेत चेहरों की बजाय श्वेत चेहरों को पहचानने में ज्यादा सटीक काम करता है।
मेसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ने एआई को समझने के लिए पाठ्यक्रम बनाया है जिसके आधार पर इलिनॉय, फ्लसेरिडा, न्यूयॉर्क और वर्जीनिया के कुछ मिडिल स्कूल के टीचर बच्चों को एआई सिस्टम के अनैतिक इस्तेमाल के बारे में बताता है। किस तरह से फेक न्यूज में इसका उपयोग हो सकता है। जैसे कि किसी राजनेता को कुछ ऐसा आपत्तिजनक बोलते हुए वीडियो बनाया जा सकता है जो उसने कभी बोला ही नहीं। एमआईटी के एजुकेशन रिसर्चर केट मूर का कहना है कि एआई के हर जगह घुसपैठ करने के साथ युवाओं के लिए अपने रोजाना के जीवन में कंप्यूटर एलगोरिदम को समझना जरूरी है।
स्टूडेंट्स को बता रहे हैं, एलगोरिदम की बड़ी गलतियां
फेस मैच टेक्नोलॉजी की चूक से कुछ अश्वेतों को गलत गिरफ्तार किया गया। टीचर एबी हान बताती हैं कि पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा की पत्नी मिशेल ओबामा और टेनिस सितारा सेरेना विलियम्स को युवक बता दिया गया।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.