आज EU चीफ से मिलेंगे बाइडेन:अमेरिका पहुंचीं उर्सला वॉन डेर लिन, क्लीन टेक्नोलॉजी और यूक्रेन पर अहम बातचीत होगी

वॉशिंगटन3 महीने पहले
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लिन और बाइडेन की मुलाकात वॉशिंगटन में होगी। (फाइल फोटो) - Dainik Bhaskar
लिन और बाइडेन की मुलाकात वॉशिंगटन में होगी। (फाइल फोटो)

यूरोपीय यूनियन (EU) की प्रेसिडेंड उर्सला वॉन डेर लिन एक अहम दौरे पर अमेरिका पहुंच चुकी हैं। शुक्रवार को व्हाइट हाउस में उनकी मुलाकात अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन से होगी।

EU चीफ और बाइडेन की यह मुलाकात बेहद अहम मानी जा रही है। दरअसल, इसमें दो मुद्दों पर चर्चा होगी। पहला- क्लीन टेक्नोलॉजी पर सब्सिडी। दूसरा- यूक्रेन के हालात और उसको हथियार सप्लाई। इन दोनों मुद्दों पर अमेरिका और यूक्रेन के कई बयान अलग-अलग होते हैं। माना जा रहा है कि दोनों नेता एक सॉलिड स्ट्रैटजी तैयार कर लेंगे।

क्लीन टेक्नोलॉजी का मकसद क्या

  • अमेरिका और EU दोनों चाहते हैं कि फ्यूचर में कॉर्बन एमिशन जीरो लेवल तक लाया जाए। दूसरे शब्दों में कहें तो ये दोनों बड़ी इकोनॉमिक पावर्स कार्बन न्यूट्रैलिटी हासिल करना चाहती हैं। इसके लिए क्लीन टेक्नोलॉजी की जरूरत है।
  • अमेरिका 2050 तक अपने क्लीन टेक्नोलॉजी प्रोडक्ट्स पर 369 अरब डॉलर की सब्सिडी देने जा रहा है। इसे इन्फ्लेशन रिडक्शन एक्ट (IRA) कहा गया है। EU इसका विरोध कर रहा है। उसके हिसाब से यह सब्सिडी रेट बेहद ज्यादा है।
  • इस मसले को सुलझाने के लिए स्पेशल टास्क फोर्स बनाई गई थी। लिन और बाइडेन इसकी रिपोर्ट पर आखिरी फैसला ले सकते हैं।
यूरोपीय यूनियन (EU) की प्रेसिडेंड उर्सला वॉन डेर लिन एक अहम दौरे पर अमेरिका पहुंच चुकी हैं।
यूरोपीय यूनियन (EU) की प्रेसिडेंड उर्सला वॉन डेर लिन एक अहम दौरे पर अमेरिका पहुंच चुकी हैं।

यूक्रेन और चीन भी एजेंडे पर
बाइडेन और लिन की मीटिंग में यूक्रेन और चीन का मुद्दा भी अहम होने वाला है। अमेरिका और EU दोनों ही यूक्रेन को फुल सपोर्ट देना चाहते हैं। दोनों ने ही रूस के खिलाफ काफी सख्त पाबंदियां लगाई हैं। दोनों के लिए सबसे बड़ी फिक्र यह है कि रूस पर इतनी पाबंदियों का कोई असर नहीं हुआ। इसका बड़ा सबूत यह है कि रूस के यूक्रेन पर हमले बदस्तूर जारी हैं।

दोनों नेता इस बात पर विचार करेंगे कि रूस के खिलाफ उठाए गए कदमों में आखिर कमी कहां रह गई, जिसकी वजह से मॉस्को को अब तक पीछे हटने पर मजबूर नहीं किया जा सका है।

दूसरा मुद्दा चीन का है। माना जा रहा है कि चीन हर तरीके से रूस की मदद कर रहा है। इसके अलावा उसकी कंपनियां अलग-अलग तरीकों से यूरोपीय देशों और अमेरिका में जासूसी कर रही हैं। इस मीटिंग में चीन पर भी सख्त पाबंदियां लगाने पर विचार किया जा सकता है। अमेरिकी फॉरेन सेक्रेटरी एंटनी ब्लिंकन ने पिछले दिनों साफ कर दिया था कि अगर चीन ने रूस को हथियार दिए तो उसे इसका अंजाम भी भुगतना पड़ेगा।