चीन के कई हिस्सों में अप्रैल से लाॅकडाउन है। शंघाई में कोविड को लेकर सख्त प्रतिबंध ने दुनियाभर में स्वास्थ्य सेवाओं को बाधित करना शुरू कर दिया है। परेशानी अमेरिका तक पहुंच चुकी है। ग्रेटर न्यूयॉर्क हॉस्पिटल एसो. ने कहा है कि शंघाई स्थित जीई हेल्थकेयर में बनने वाले रासायनिक एजेंट ओमनीपेक की कमी से एक्सरे, रेडियोग्राफी और सीटी स्कैन में परेशानी हो रही है। एसोसिएशन ने चेतावनी दी कि अगले दो महीनों के लिए आपूर्ति में 80% तक की कटौती संभव है। संगठन ने अस्पतालों और जांच लैबों से अपील की है कि वह स्टॉक का आवश्यक उपयोग करें।
फायदे में सिर्फ चीन ही रहेगा
बर्लिन सोशल साइंस सेंटर के चीन प्रोजेक्ट के हेड और चीफ इन्वेस्टिगेटर डॉ. मैथ्यू स्टीफन ने कहा इस लॉकडाउन से दुनियाभर की अर्थव्यवस्था को नुकसान हो रहा है। फायदे में सिर्फ चीन ही रहेगा। उन्होंने आगे कहा कि चीन के राष्ट्रपति शी जिन पिंग का कोविड को लेकर जीरो टॉलरेंस के नाम पर 45 जिलों में लॉकडाउन लगा देना एक विवादित निर्णय जान पड़ता है। यह ठीक वैसा ही, जैसे उनका यूक्रेन युद्ध में पुतिन का साथ देना। चीन दुनिया का सबसे बड़ा आयात और निर्यात करने वाला देश है।
अगर चीन में आयात और निर्यात बाधित हो जाए तो चीन के लिए कच्चा माल सस्ता होने लगता है और उसके बनाए साइकिल से सेमीकंडक्टर तक महंगे होने लगते हैं। अगस्त 2021 की तुलना में चीन का आयात मार्च में 25% घटा है। चीन के इस फैसले से दुनिया महंगाई की मार झेलने पर मजबूर हो जाएगी। केंद्रीय बैंकों को ब्याज दरें बढ़ानी पड़ेंगी, जो घोर आर्थिक मंदी को जन्म देगा। भारत का तो 100% पोटाश चीन से आता है, जो खाद का अहम हिस्सा है। सप्लाई बाधित हुई तो खरीफ फसलों पर असर पड़ेगा।
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