चीन की हरकतों से एक बार फिर दुनिया परेशान है। दरअसल, चीन का एक रॉकेट बूस्टर स्पेस में आउट ऑफ कंट्रोल हो गया। रॉकेट का मलबा प्रशांत महासागर में जा गिरा है। यह रॉकेट तेज गति से धरती की ओर बढ़ रहा था। गनीमत रही कि यह आबादी वाले क्षेत्र में नहीं गिरा।
वैज्ञानिकों ने बताया था कि चीनी रॉकेट के टुकड़े अमेरिका, भारत, चीन, दक्षिण पूर्व एशिया, ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका के कुछ हिस्सों में गिर सकते हैं। वहीं इस खतरे को देखते हुए स्पेन ने अपना एयरपोर्ट बंद कर दिया था। स्पेन का कहना था कि स्पेनिश एयर ट्रैफिक कंट्रोलर ने 23 टन के चीनी रॉकेट के मलबे को अपने देश से गुजरते हुए नोटिस किया है।
23 टन का था रॉकेट
चीन का रॉकेट लॉन्ग मार्च 5बी का कोर बूस्टर था। इसे 31 अक्टूबर को लॉन्च किया गया था। इस रॉकेट की मदद से तियांगोंगे स्पेस स्टेशन के लिए एक एक्सपेरिमेंटल लेबोरेटरी मॉड्यूल को स्पेस में भेजा गया था। रिपोर्टर्स के मुताबिक, इसका वजन करीब 23 टन था, जिसकी ऊंचाई 59 फुट थी। अगर यह रॉकेट किसी शहर या क्षेत्र में गिरता है तो बड़े स्तर पर जान-माल का नुकसान हो सकता था।
NASA बोला- चीन की हरकतें गैर-जिम्मेदाराना
अमेरिकी स्पेस रिसर्च एजेंसी (NASA) का कहना था कि चीन के स्पेस अधिकारियों ने इस खतरे को पैदा किया है। NASA पहले भी कई बार चीन की ऐसी हरकतों को गैर-जिम्मेदार बता चुका है।
2 साल में चौथी बार हो सकती है घटना
2 साल में यह चौथी बार है, जब चीनी रॉकेट का मलबा धरती पर गिरा है। इससे पहले 30-31 जुलाई की रात रॉकेट के कुछ टुकड़े धरती पर गिरे थे। 25 टन का ये रॉकेट 24 जुलाई को चीन के अधूरे तियांगोंग अंतरिक्ष स्टेशन को पूरा करने के लिए एक मॉड्यूल लेकर निकला था। इसको लेकर भी वैज्ञानिकों ने चिंता जाहिर की थी। जुलाई से पहले मई 2021 में हिंद महासागर और मई 2020 में आइवरी कोस्ट पर रॉकेट का मलबा गिरा था। हालांकि दोनों मामलों में जान-माल का नुकसान नहीं हुआ था।
रॉकेट के मलबे से कितना खतरा
द एयरोस्पेस कॉर्पोरेशन के मुताबिक जो मलबा पृथ्वी के एटमॉस्फियर में नहीं जलता वो आबादी वाले इलाकों में गिर सकता है, लेकिन इस मलबे से किसी को नुकसान पहुंचाने की संभावना बहुत ही कम होती है। अमेरिका के ऑर्बिटल डॉबरीज मिटिगेशन स्टैंडर्ड प्रैक्टिसेज की 2019 में जारी हुई एक रिपोर्ट के मुताबिक किसी रॉकेट के अनियंत्रित होकर धरती में फिर से प्रवेश करने पर किसी के हताहत होने की संभावना 10 हजार में एक है।
लाइफ एंड साइंस से जुड़ी ये खबरें भी पढ़िए...
धरती पर गिरा चीन के रॉकेट का मलबा:आसमान में तेज रोशनी दिखी, सोशल मीडिया पर लोग बोले- ये उल्कापिंड की बारिश जैसा है
चीन पूरी खबर पढ़ें...
हिन्द महासागर में चीन ने भेजा जासूसी जहाज:भारत के मिसाइल टेस्ट की जानकारी ट्रैक कर सकता है, श्रीलंका में भी तैनात किया था
भारत 10-11 नवंबर को व्हीलर आइलैंड से बैलेस्टिक मिसाइल टेस्ट करने वाला है। चीन ने इस मिसाइल टेस्ट के लिए हिंद महासागर में जासूसी जहाज युआन वांग-6 को डिप्लॉय कर दिया है। चीनी नौसेना का ये जासूसी जहाज वांग-5 कैटेगरी का है, जिसे अगस्त 2022 में श्रीलंका के हंबनटोटा में भेजा गया था। श्रीलंका में जहाज 6 दिनों तक तैनात था।
भारत को इस बात की चिंता सता रही है कि चीन अब उस मिसाइल को ट्रैक करने की कोशिश कर रहा है जिसका टेस्ट होने वाला है। चीन इन जहाजों की मदद से मिसाइल की ट्रैजेक्टरी, स्पीड, रेंज और एक्यूरेसी से जुड़ी अहम जानकारियां हासिल कर सकता है। पूरी खबर पढ़ें...
ISRO के सबसे भारी रॉकेट से 36 सैटेलाइट लॉन्च:ब्रिटिश कंपनी के हैं सभी उपग्रह, पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजे गए
इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) ने ब्रिटेन के संचार नेटवर्क ‘वन वेब’ के 36 सैटेलाइट्स 22-23 अक्टूबर की देर रात (12:07 बजे) लॉन्च किए। ये सभी सैटेलाइट्स सबसे भारी रॉकेट GSLV-Mk III के जरिए लॉन्च किए गए। इसे लो अर्थ ऑर्बिट में सफलता से स्थापित कर दिया गया। इसरो ने इसकी पुष्टि की थी।
ये सैटेलाइट्स ब्रिटेन के संचार नेटवर्क ‘वन वेब’ के थे। यह ISRO का पूरी तरह कॉमर्शियल मिशन था। लॉन्चिंग आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से की गई। ISRO की कॉमर्शियल आर्म न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) ने इन सैटेलाइट्स को लॉन्च करने के लिए वन वेब के साथ सर्विस कॉन्ट्रैक्ट साइन किए हैं। यह जानकारी NSIL के चेयरमैन और एमडी राधाकृष्णन डी ने दी थी। पूरी खबर पढ़ें...
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.