इराकी मुक्केबाज बुशरा अल-हज्जर रिंग में कूदती हैं और तुरंत ही अपने साथी पर हमला कर देती हैं। हालांकि, उनका सबसे बड़ा संघर्ष सामाजिक धारणाओं के खिलाफ लड़ना है। इराक के पवित्र शहर नजफ में, महिलाओं के बॉक्सिंग हॉल का नजारा काफी रोचक है, यहां अन्य लोगों की तरह, 35 वर्षीय बॉक्सिंग ट्रेनर अल-हज्जर बॉक्सिंग कर रही थीं।
परिवार और दोस्त का मिलता है सपोर्ट
बॉक्सिंग का अभ्यास कर रही दो बच्चों की मां ने एएफपी को बताया, 'मेरे घर पर एक ट्रेनिंग रूम भी है। जहां एक मैट और एक पंचिंग बैग है।' हज्जर ने दिसंबर में बगदाद में एक बॉक्सिंग टूर्नामेंट में 70 किलोग्राम वर्ग का गोल्ड मेडल जीता था। उन्होंने बताया, 'मेरे परिवार और दोस्त मुझे काफी सपोर्ट करते हैं और उन्हें बहुत खुशी है कि वह यहां तक पहुंची।' उन्होंने बताया कि वह सप्ताह में दो बार, बगदाद के नजफ में एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी में ट्रेनिंग भी देती हैं, जहां वह लड़कियों को दूसरे स्पोर्ट्स भी सिखाती हैं।
महिलाओं के ट्रेनिंग सेंटर का हुआ था काफी विरोध
हज्जर ने बताया, 'पिछड़ी सोच वाले इराक में और विशेष रूप से नजफ में, मेरे कामों की वजह से लोग मेरे बारे में बातें करते रहते हैं। यहां तक पहुंचने के लिए मैंने काफी मुश्किलों का सामना किया है।' हम एक रूढ़िवादी समाज में रहते हैं जहां लोगों को इस तरह की चीजों को स्वीकार करने में कठिनाई होती है। वह कहती हैं कि जब पहली बार महिलाओं के लिए ट्रेनिंग सेंटर की बात की गई थी तब इसकी काफी विरोध किया गया था, लेकिन आज इराक में महिलाओं के लिए कई ट्रेनिंग सेंटर हैं।
बदल रहा है पुरूषवादी समाज
वहीं, एक बॉक्सिंग की 16 वर्षीय छात्रा ओला मुस्तफा का कहना है कि हम एक मेल डॉमिनेंट सोसाइटी में रहते हैं। यहां लोगों को बिल्कुल भी पसंद नहीं है कि महिलाएं समाज में आगे बढ़ें और किसी भी फील्ड में सक्सेसफुल हों। लेकिन अब समाज बदल रहा है, मेरे ट्रेनर के साथ-साथ अब मेरे पेरेंट्स और भाई भी मुझे काफी सपोर्ट करते हैं। मुस्तफा ने आगे बताया कि अगर इस फील्ड में ज्यादा से ज्यादा लड़कियां आएंगी और वह अपने हक के लिए समाज में अपनी आवाज उठाएंगी तो बेशक हमारा समाज बदलेगा।
महिलाएं भी अब दिखा रहीं खेल में रुचि
इराकी मुक्केबाजी महासंघ के अध्यक्ष अली तकलीफ ने यह स्वीकार किया कि इराकी महिलाएं अब खेल में दिलचस्पी दिखा रही हैं। अब उनका भी इस फील्ड में कब्जा दिख रहा है। इसी वजह से इराक में 20 बॉक्सिंग क्लब हैं। उन्होंने आगे बताया कि दिसम्बर में हुए टूर्नामेंट में 100 से भी ज्यादा महिलाओं ने भाग लिया था। लेकिन इराक में दूसरे खेलों की तरह यहां भी ट्रेनिंग इक्विपमेंट्स से लेकर कई जरूरी चीजों की कमी है।
समय के साथ बदल रही लोगों की सोच
साल 1970 और 1980 के दशक में, इराक में खेलों में महिलाओं की एक गौरवपूर्ण परंपरा थी। चाहे बात बास्केटबॉल, वॉलीबॉल या साइकिलिंग की हो, महिला टीम नियमित रूप से क्षेत्रीय टूर्नामेंट में हिस्सा लेती थी। लेकिन प्रतिबंधों, दशकों के संघर्ष और रूढ़िवादी सामाजिक मूल्यों के कारण वह समय बीत गया।
इराक में कुछ समय से काफी उलटफेर और तब्दीली देखने को मिल रही है। जहां महिलाएं किकबॉक्सिंग के साथ ही कई तरह के खेलों में अपनी दिलचस्पी दिखा रही हैं। दिसंबर में 13 साल की एक बच्ची ने बॉक्सिंग में सिल्वर मेडल जीता था। उसके पिता, एक अनुभवी पेशेवर बॉक्सर हैं। उन्होंने ही अपने बच्चों को अपने नक्शेकदम पर चलने के लिए प्रोत्साहित किया। उनकी दोनों बहनें और बड़े भाई अली भी बॉक्सर हैं।
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