प्रवासी भारतीयों की मुश्किलें बढ़ीं:अमेरिका में H-1B वीजा वाले देश छोड़ने के लिए मजबूर; दक्षिण एशियाई लोगों की नौकरियों पर संकट

वॉशिंगटन2 वर्ष पहले
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बेरोजगार प्रोफेशनल्स अपने घर का सामान बेचने को मजबूर, वीसा स्टेटस के आधार पर किए जा रहे हैं रिजेक्ट। - Dainik Bhaskar
बेरोजगार प्रोफेशनल्स अपने घर का सामान बेचने को मजबूर, वीसा स्टेटस के आधार पर किए जा रहे हैं रिजेक्ट।

कोरोना के कारण इन दिनों अमेरिका में रह रहे प्रवासी भारतीयों की मुश्किलें बहुत बढ़ गई हैं। क्योंकि, महामारी के कारण उनकी नौकरियां जा रही हैं। ऐसे में H-1B वीसा पर रहे लोगों के लिए दो ही रास्ते बचे हैं। पहला- नौकरी ढूंढकर वीसा अवधि बढ़वाओ, दूसरा- अमेरिका छोड़कर चले जाओ।

वैसे तो इस श्रेणी के वीसा के ग्रेस पीरियड मिलता है, लेकिन इस दौरान दूसरी नौकरी ढूंढना अनिवार्य होता है। पर महामारी से चरमराई अर्थव्यवस्था के कारण लोगों को दूसरी नौकरी मिल नहीं रही, इसलिए ऐसे लोग अमेरिका छोड़कर जाने को मजबूर हो रहे हैं।

सामान बेचने को मजबूर हो रहे लोग
कई भारतीय प्रोफेशनल्स जॉब छूटने के बाद उन्हें अपना बेड, सोफा और दूसरा सामान बेचने को मजबूर हो रहे हैं। पिछले एक साल बहुत बड़ी संख्या में विदेशी प्रोफेशनल्स बेरोजगार हुए हैं। एक भारतीय इंजीनियर के अनुसार उन्हें सिर्फ इसलिए उनका वीसा स्टेटस देखकर रिजेक्ट कर दिया गया।

दुनियाभर से प्रोफेशनल्स काम की तलाश में एच-1बी वीसा पर अमेरिका पहुंचते हैं। इनमें भारतीयों की संख्या सर्वाधिक होती है। अध्यक्ष, अमेरिकी आव्रजन एसोसिएशन जेनिफर माइनर के अनुसार इस समय नौकरी खोने से जुड़ी अनिश्चितता बहुत है, फिर चाहें आप कोई भी हों। इस हाल में एक आप्रवासी के लिए तो यह अनिश्चितता निश्चित रूप से बढ़ जाती है।

भारत में यूएस कॉन्सुलेट बंद, कई लोग यहां अटके
कोरोना के बढ़ते मामलों के कारण अमेरिका ने भारत पर ट्रैवल बैन लगा दिया है, इस वजह से प्रवासी यहां और वहां अटककर रह गए हैं। ट्रैवल बैन कब तक रहेगा इसे लेकर कोई स्थिति स्पष्ट नहीं है। भारत में यूएस की कॉन्सुलेट भी बंद हैं, इसलिए यहां फंसे लोगों को कोई जानकारी भी नहीं मिल पा रही है। अमेरिका में स्किल्ड इमीग्रेंट्स की सह-संस्थापक नेहा महाजन बताती हैं, ‘पति अपने पिता का अंतिम संस्कार करने भारत गए थे, मैं अमेरिका में अपनी दो बेटियों के साथ हूं।

कॉन्सुलेट बंद होने से पति के आने के बारे में हमें कुछ पता नहीं है।’ नैशविले में फंसी पायल राज कहती हैं कि उन्हें पता नहीं है कि वह अपने नौ साल के बच्चे के साथ भारत कब और कैसे वापस आएंगी। प्रतिबंध में खासकर गैर अप्रवासियों और उनके परिवारों को निशाना बनाया गया है। अन्य देशों पर प्रतिबंध का इतिहास देखें तो पता चलता है कि यह महीनों या एक साल तक रह सकता है।

भारत में फंसे लोग एच-1बी वीसा पर मुहर नहीं लगवा पा रहे हैं
भारत में अमेरिका के दूतावास बंद होने से कई लोगों की नौकरी खतरे में है। उत्कर्ष हजार्निस 2013 से अमेरिका में रहते हैं पर अभी भारत में फंसे हुए हैं। कॉन्सुलेट बंद होने से उनके एच-1बी वीसा पर मुहर नहीं लग पा रही है, इससे नौकरी पर संकट है।

मुंबई में अभिनव अमरेश फंस गए हैं, क्योंकि मुंबई में अमेरिकी महावाणिज्य दूतावास बंद कर दिया गया है जिस वजह से वह अपने एच-1बी वीसा पर मुहर नहीं लगवा सके हैं। जब तक उनके वीसा पर मुहर नहीं लगेगी, अमेरिका नहीं लौट सकते। ऐसे कई अन्य हैं जो वीसा पर मुहर न लगने से भारत में ही फंसकर रह गए हैं।

अब ब्रिटेन में बिना रोक-टोक काम कर सकेंगे भारतीय प्रोफेशनल्स
भारत और ब्रिटेन ने आव्रजन से जुड़े एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके तहत भारतीयों के लिए वर्क वीजा में इजाफा होगा। आव्रजन एवं आवाजाही साझेदारी समझौते से भारतीय और ब्रिटिश युवा दो साल तक एक दूसरे के देश में रह सकते हैं और काम कर सकते हैं।

अवैध प्रवासियों को उनके अपने देश वापस भेजने की प्रक्रिया में तेजी आएगी। इससे भारत में अपराध कर ब्रिटेन के सिस्टम के तहत रह रहे लोगों को लाने में तेजी आएगी। इसे ब्रिटेन के पीएम बोरिस जॉनसन और पीएम नरेंद्र मोदी के बीच हुए ऑनलाइन सम्मेलन से जुड़े नतीजों में से एक बताया गया है।

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