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बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम में प्रमुख भूमिका निभाने वाले बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान की हत्या के दोषी अब्दुल मजीद को शनिवार रात ढाका की केंद्रीय जेल में फांसी पर लटका दिया गया। शेख मुजीबुर्रहमान बांग्लादेश के पहले राष्ट्रपति थे। वह 17 अप्रैल 1971 से लेकर 15 अगस्त 1975 तक देश के प्रधानमंत्री भी रहे। इसी दिन उनकी हत्या हुई थी। हत्या के 45 साल बाद अपराधी की सजा पर अमल हुआ। उनकी बेटी शेख हसीना अभी बांग्लादेश की प्रधानमंत्री हैं।
मुजीबुर्रहमान ने बांग्लादेश को तबाही से बाहर निकाला: मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 मार्च को शेख मुजीबुर्रहमान के जन्म शताब्दी समारोह में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शामिल हुए थे। मोदी ने कहा था, ‘‘पिछले पांच-छह वर्षों में भारत-बांग्लादेश के संबंधों का सुनहरा अध्याय बना है। बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान ने बांग्लादेश को तबाही से बाहर निकाला। सकारात्मक और विकसित समाज बनाने के लिए उन्होंने अपना पल-पल समर्पित कर दिया।’’
शेख मुजीबुर्रहमान की जन्म शताब्दी पर बड़े आयोजनों की तैयारी थी
बांग्लादेश की आजादी में मुख्य भूमिका निभाने वाली ‘बंगबंधु’ सेना के प्रमुख रहे शेख मुजीबुर्रहमान की जन्म शताब्दी के मौके पर बड़े आयोजनों की तैयारी थी। ढाका के नेशनल परेड ग्राउंड में 17 मार्च को सालभर चलने वाले समारोहों की शुरुआत होनी थी। प्रधानमंत्री मोदी समेत कई विदेशी मेहमानों को इसमें शामिल होना था, लेकिन कोरोनावायरस महामारी के चलते सभी कार्यक्रम टाल दिए गए थे।
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