आपने अक्सर नौकरीपेशा लोगों को बर्नआउट (तनाव और अवसाद) की शिकायत करते हुए सुना ही होगा। लेकिन युवा उद्यमी (आंत्रप्रन्योर) कर्मचारियों से ज्यादा देर तक काम में डूबे रहते हैं। इसके बावजूद वे बर्नआउट का शिकार नहीं होते।
इस संबंध में नीदरलैंड्स की एम्सटर्डम यूनिवर्सिटी ने एक शोध किया। शोध में सामने आया कि उद्यमियों को काम करने की आजादी और उनके लगातार किसी काम के पीछे लगे रहने की सक्रियता के कारण उन्हें पॉजिटिव एनर्जी मिलती है। उनके निवेश से मिलने वाले लाभ से उनके अंदर सकारात्मक ऊर्जा का एक ऐसा स्त्रोत बन जाता है जो ज्यादा काम करने पर भी थकने नहीं देता।
काम में आजादी से बढ़ती है पॉजिटिविटी
प्रमुख रिसर्चर प्रो ओब्सचोंका ने बताया कि काम का तनाव और समय का दबाव उद्यमियों को उच्च स्तर की इंडिविजुअल टास्क ऑटोनॉमी देता है। यह सब उन्हें पॉजिटिव साइकोलॉजिकिल विदड्रॉअल की ओर ले जाते हैं, जो उद्यमियों के काम में बड़ी भागीदारी के कारण बनाते हैं।
इससे उनका काम न केवल उन्हें वेतनभोगी कर्मचारियों की तुलना में ज्यादा ऊर्जा और ज्यादा सकारात्मक स्थिति प्रदान करता है, बल्कि वे अपने काम से खुश और ज्यादा संतुष्ट भी रहते हैं। विशेष रूप से किसी अन्य कर्मचारियों के लिए जिम्मेदार नहीं होने के कारण भी वे बर्नआउट का शिकार नहीं होते हैं।
बिजनेस बढ़ाने से बढ़ सकता है बर्नआउट
हालांकि अगर वे व्यवसाय का विस्तार करते हैं और ज्यादा कर्मचारियों को काम पर रखते हैं, तो बर्नआउट का जोखिम बढ़ जाता है। अपने साथ-साथ कर्मचारियों को भी बर्नआउट के जोखिम के बारे में जागरूक होना चाहिए।
आंत्रप्रन्योर दृष्टिकोण से बर्नआउट से बच सकते हैं कर्मचारी
उच्च जोखिम वाली नौकरी वाले कर्मचारियों के लिए आंत्रप्रन्योरशिप का दृष्टिकोण रखना फायदेमंद है। इससे वे बर्नआउट का शिकार होने से बच सकते हैं। वहीं अपने काम को मजबूत कर पूरी सकारात्मक ऊर्जा से काम कर सकते हैं।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.