ईरान में छात्राओं को पढ़ने से रोकने के लिए जहर दिया जा रहा है। इस बात का खुलासा डिप्टी हेल्थ मिनिस्टर यूनुस पनाही ने किया है। उन्होंने कहा- घोम शहर में नवंबर 2022 के बाद से रेस्पिरेटरी पॉइजनिंग के सैंकड़ों मामले सामने आए हैं।
उनका कहना है कि स्कूलों में पानी को दूषित किया जा रहा है जिससे छात्राओं को सांस लेने में दिक्कत आ रही है। इनमें उल्टी, जबरदस्त बॉडी पेन और दिमागी दिक्कत शामिल है। उनकी हालत इतनी बिगड़ रही है कि इलाज के लिए उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया जा रहा है।
कुछ लोग गर्ल्स स्कूल बंद करना चाहते हैं
ईरान की न्यूज एजेंसी IRNA के मुताबिक, डिप्टी हेल्थ मिनिस्टर यूनुस पनाही ने कहा- घोम शहर के स्कूलों में छात्राओं को जहर दिए जाने के कई मामला सामने आए हैं। इससे पता चलता है कि कुछ लोग लड़कियों की शिक्षा रोकना चाहते हैं और गर्ल्स स्कूल बंद करना चाहते हैं।
उन्होंने कहा- ऐसा करने के लिए जो भी केमिकल कंपाउंड का इस्तेमाल किया जा रहा है, वो ज्यादा खतरनाक नहीं है। इसका इलाज जल्द किया जा सकता है। लेकिन छात्राओं को जानबूझकर जहर दिया जा रहा है। इस मामले की जांच हो रही है। उन्होंने इससे जुड़ी ज्यादा जानकारी नहीं दी है।
अपराधी पुलिस की गिरफ्त से बाहर
इस मामले में फिलहाल किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। वहीं, लोरेस्टन प्रांत के डिप्टी गवर्नर माजिद मोनेमी ने कहा- बोरुजर्ड शहर में भी ऐसा ही मामला सामने आया। यहां 26 फरवरी को 50 से ज्यादा छात्राओं को जहर दिया गया। कई छात्राओं को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती करवाया गया है।
इंटेलिजेंस एजेंसी जांच में जुटी
14 फरवरी को बीमार हुई बच्चियों के पेरेंट्स ने सरकार से इस मामले में जांच की मांग की थी। इसके बाद ईरानी सरकार के स्पोक्सपर्सन अली बहादोरी जहरोमी ने कहा था- इंटेलिजेंस एजेंसी और एजुकेशन मिनिस्टर इस मामले की जांच कर रहे हैं। जल्द ही जहर देने वालों को पकड़ा जाएगा। न्यायिक जांच का आदेश भी दिया गया है।
महसा अमिनी की मौत के बाद बढ़े रेस्पिरेटरी पॉइजनिंग के मामले
रिपोर्ट्स के मुताबिक, छात्राओं को जहर दिए जाने के मामले 16 सितंबर को हुई महसा अमिनी की मौत को लेकर शुरू हुए प्रदर्शन के बाद सामने आए हैं। दरअसल, 16 सितंबर को पुलिस कस्टडी में 22 साल की महसा की मौत हो गई थी। उसने हिजाब नहीं पहना था, जिसके बाद उसे गिरफ्तार किया गया था। ईरान में लड़कियों पर पाबंंदियां हैं और हिजाब पहनने को लेकर सख्त कानून हैं।
महसा की मौत और हिजाब को मेंडेटरी किए जाने के विरोध में कई स्कूल गर्ल्स सड़कों पर उतरी थीं। इसके बाद से ही छात्राओं को जहर दिए जाने की खबरें सामने आने लगीं। सरकार और उसकी एजेंसियों पर जहर देने के आरोप लगे थे। इस आरोप के बाद सरकारी अफसरों ने कहा था- हम ये मानते हैं कि स्टूडेंट्स बीमार हुए हैं। इसकी वजह खराब पानी है। पानी में बैक्टीरिया पनपे और इसको पीने से स्टूडेंट्स बीमार हुए।
प्रदर्शनकारी छात्राओं को साइकेट्रिक हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया
विरोध प्रदर्शन कर रहीं छात्राओं को ईरान सरकार मानिसिक रोगी तक बता चुकी है। ईरान के शिक्षा मंत्री ने कहा था कि हिजाब का विरोधी करने वाली स्कूल और कॉलेज की छात्राओं की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है।
उन्होंने कहा था- ये सभी छात्राएं दिमागी रोग से ग्रसित हैं। इन छात्राओं को साइकेट्रिक हॉस्पिटल में भर्ती कराया जा रहा है। जिससे इन छात्राओं में पनप रहे असामाजिक व्यवहार को दुरुस्त किया जा सके।
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