खुशियां क्या हैं? कहां से आती हैं? कैसे बढ़ती हैं? इन सवालों के इर्दगिर्द हमारा हर दिन गुजरता है। असल में जीवन का अर्थ और उद्देश्य जान लेना असली खुशी है। इसलिए खुशी पाने के बेहद आसान तरीके जिनके जरिए आप पूरे साल खुशियां पा सकते हैं।
पहला दिन
दोस्तों के बारे में लिखिए हर रिश्ते को पहचानिए आपके कई दोस्तों में किसके साथ आप व्यक्तिगत बातें साझा कर सकते हैं? किस पर आपको सबसे ज्यादा भरोसा है? कौन-सा दोस्त है जो आपको हमेशा हंसाता है? पहले दिन आपको रिश्तों को परखना है। अपने दोस्तों की इन खूबियों को लिखना है। क्योंकि हार्वर्ड की रिसर्च के अनुसार रिश्तों और खुशियों में गहरा नाता है। रिश्ते और सामाजिक जुड़ाव हमें तनाव, अवसाद से बचाते हैं। लंबे समय तक जीवित रखते हैं।
दूसरा दिन
किसी अपने से 8 मिनट फोन पर बात कीजिए दूसरे दिन का चैलेंज है उस व्यक्ति को फोन करना, जिससे कई दिनों से नहीं मिले हैं, लेकिन उससे हमेशा जुड़े रहना चाहते हैं। आज उसे अपने बारे में बताइए, उसके बारे में पूछिए। साथ ही तय कीजिए कि अगली बार कम से कम आठ मिनट की यह बात कब होगी। क्योंकि जो लोग सप्ताह में एक-दो बार परिचितों और दोस्तों से कम से कम 8 मिनट बात करते हैं, उनमें अवसाद, अकेलापन और चिंता कम होती है। वे ज्यादा खुश रहते हैंं।
तीसरा दिन
किसी अनजान से मिलिए, अपना दायरा बढ़ाइए। तीसरे दिन किसी अनजान से बात कीजिए। वह वॉचमैन हो या फिर राह में मिला कोई व्यक्ति। दरअसल अनजान व्यक्ति की आपके प्रति कोई धारणा नहीं होती। वह आपको जैसे आप हैं, वैसे ही स्वीकार करता है। वो आपको आपके बैकग्राउंड से जज नहीं करता, क्योंकि 1970 के दशक से जारी एक शोध के अनुसार अक्सर अजनबियों से बात करने वाले ज्यादा लोकप्रिय होते हैं। वे खुशमिजाज बने रहते हैं। परिस्थितियों में जल्दी ढलते हैं।
चौथा दिन
लिखकर शुक्रिया कहिए, बीते पलों को फिर जिएं। चौथे दिन उस व्यक्ति को धन्यवाद कहिए, जिसने आपके जीवन में कोई अहम काम किया है। उसे ईमेल, मैसेज या चिट्ठी लिखकर बताइए कि वो कितना महत्वपूर्ण है। चिट्ठी में उदाहरण, घटना या किस्सा भी लिखिए। उसे अपनी अहमियत का पता चलेगा, क्योंकि प्रशंसा करने वाले और पाने वाले दोनों को खुशी होती है। यह भावनाओं को गहराई देती है। जाे लोग रिश्तों को बचाए रखते हैं वे ज्यादा खुशहाल जीवन जीते हैं।
पांचवां दिन
सहकर्मी को समझिए, उसके दिल की सुनिए। पांचवें दिन ऑफिस के उन साथियों से मिलिए, जिनसे कम ही बात होती है। उन्हें अपने बारे में बताइए और उनका हाल पूछिए। अगर आप छात्र हैं तो उन दोस्तों से बात कीजिए, जिनसे संबंध बेहतर बनाना चाहते हैं। इससे प्रोडक्टिविटी और समझ बढ़ती है, क्योंकि गैलप की रिपोर्ट के अनुसार जिन लोगों के वर्कप्लेस पर अच्छे दोस्त होते हैं, उन्हें तनाव कम होता है। उन्हें नए विचार ज्यादा आते हैं। वे अधिक सफल होते हैंं।
छठा दिन
पुराना वादा पूरा कीजिए, पेंडिंग काम खत्म करिए। छठे दिन किसी दोस्त से किया वादा पूरा कीजिए, या उस पूर्व सहकर्मी के साथ भोजन कीजिए, जिसने आपको हमेशा हंसाया है। अगर किसी से वादा किया था कि किसी दिन साथ में काफी पिएंगे तो यह काम जरूर कीजिए। आज ऐसे किसी पेंडिंग काम को पूरा कीजिए। रिसर्च बताते हैं कि जो लोग किसी संस्था, संगठन जैसे मंदिर समुदाय, हॉबी ग्रुप, सहायता समूह या स्पोर्ट टीम से जुड़े होते हैं उनमें खुशी का स्तर अधिक होता है।
सातवां दिन
पूरे साल का हैप्पीनेस प्लान तैयार कीजिए...आखिरी दिन पूरे साल के लिए लक्ष्य बनाइए। जैसे-एक लिस्ट बनाइए, उन लोगों की जिनसे एक साल में मिलना है। संकल्प कीजिए कि बीते छह दिनों में जाे किया है वह पूरे साल करेंगे। खुद से वादा कीजिए कि दोस्ती की परंपरा हमेशा निभाएंगे। नए ट्रेंड शुरू करेंगे। क्योंकि साल भर का यह हैप्पीनेस प्लान आपको मनोवैज्ञानिक और शारीरिक रूप से पूरे साल सेहतमंद रख सकता है। यह आपके लिए खुशी का जरिया बनेगा।
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