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डेमोक्रेटिक पार्टी की जीत से तय हो गया है कि अमेरिका में अब जो बाइडेन राष्ट्रपति और कमला हैरिस उपराष्ट्रपति बनने जा रहीं हैं। हमारे लिए कमला हैरिस का नाम इसलिए जरूरी हो जाता है क्योंकि वे भारतवंशी हैं। यह चुनाव जीतने के बाद उन्होंने एक नहीं बल्कि 3 नए रिकॉर्ड कायम किए हैं। कमला हैरिस अमेरिका की पहली महिला उपराष्ट्रपति होंगी। इस पद पर काबिज होने वाली वे पहली साउथ एशियन और अश्वेत हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने हैरिस को जीत की बधाई दी
मोदी ने कहा कि आपको जीत की बधाई। मुझे पूरा विश्वास है कि आपके नेतृत्व और सहयोग से भारत और अमेरिका के रिश्ते और भी ज्यादा मजबूत होंगे।
Heartiest congratulations @KamalaHarris! Your success is pathbreaking, and a matter of immense pride not just for your chittis, but also for all Indian-Americans. I am confident that the vibrant India-US ties will get even stronger with your support and leadership.
— Narendra Modi (@narendramodi) November 7, 2020
ट्विटर पर बायो बदला
मां भारतीय थीं, पिता जमैका मूल के थे
1964 में हैरिस का जन्म ऑकलैंड (कैलिफोर्निया) में हुआ था। उनकी मां भारतीय और पिता जमैका के रहने वाले थे। मां का नाम श्यामला गोपालन हैरिस था। उनके पिता डोनाल्ड हैरिस थे। डोनाल्ड हैरिस ब्रेस्ट कैंसर वैज्ञानिक थे। बताया जाता है कि कमला हैरिस की मां कैंसर का इलाज कराने के लिए अमेरिका पहुंची थीं। वहां उनकी मुलाकात डोनाल्ड हैरिस से हुई।
जीत के बाद बाइडेन से कहा- We did it Joe
We did it, @JoeBiden. pic.twitter.com/oCgeylsjB4
— Kamala Harris (@KamalaHarris) November 7, 2020
कैंपेन में खुद की कहानी बताई थी
2003 में सैन फ्रांसिस्को के काउंटी की डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी चुनी गई थीं
55 साल की कमला हैरिस ने 1998 में ब्राउन यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया। इसके बाद कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से लॉ की पढ़ाई पूरी की। 2003 में उन्हें सिटी और सैन फ्रांसिस्को के काउंटी की डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी के तौर पर चुना गया था। 2010 में कैलिफोर्निया की अटॉर्नी जनरल बनकर इतिहास रचा था। वह पहली अश्वेत महिला थीं, जिन्होंने यह पद हासिल किया था। 2016 में वह दूसरी अश्वेत महिला के तौर पर यूएस सीनेटर चुनी गईं थीं।
अमेरिका में ब्लैक लाइव्स मैटर करता है
CNN की रिपोर्ट के मुताबिक, कमला अब लाखों-करोड़ों अमेरिकन महिलाओं का प्रतिनिधित्व करेंगी। कमला की जीत का यह भी मायना निकाला जा रहा है कि अमेरिका में लोग रंग आधार पर भेदभाव बंद करना चाहते हैं। चुनाव में अश्वेत नागरिकों के साथ भेदभाव का मुद्दा हावी था। लोगों ने ''ब्लैक लाइव मैटर्स'' कैंपेन चलाया था। डोनाल्ड ट्रम्प पर शुरू से अश्वेत नागरिकों के साथ भेदभाव करने का आरोप लगता रहा।
मैं यहां हूं, इसके पीछे कई लोगों का संघर्ष है
अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद हैरिस ने ट्रम्प का जोरदार विरोध शुरू किया। यहीं से उन्हें डेमोक्रेट्स समर्थकों के बीच पसंद किया जाने लगा। उन्होंने समलैंगिक विवाह का भी समर्थन किया। हैरिस ने अगस्त में डेमोक्रेटिक नेशनल कन्वेंशन में भाषण देते हुए बेकर मोटले, फैनी लू हैमर और शिरीष चिशोल्म जैसी अमेरिकन महिलाओं का जिक्र करते हुए कहा था कि मैं यहां तक पहुंच सकी हूं उसके पीछे इन महान हस्तियों का संघर्ष है। महिलाओं और पुरुषों में समानता, स्वतंत्रता और सभी के लिए न्याय होना चाहिए।
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