भारत सरकार ने पाकिस्तानी हिंदू परिवारों को गंगा में अस्थियां प्रवाहित करने की सुविधा दे दी है। स्पांसरशिप पॉलिसी के तहत पहले पाक से अस्थि विसर्जन के लिए केवल उन्हीं को वीसा मिलता था, जिनके परिवार का कोई सदस्य भारत में रह रहा हो। अब नीति में बदलाव के बाद पाक के हिंदू परिवारों को गंगा में अस्थियां विसर्जित करने के लिए 10 दिन का भारतीय वीसा दिया जाएगा।
460 हिंदू परिवार गंगा में अस्थियां विसर्जित कर पाएंगे
अब पाकिस्तान में 460 हिंदू परिवार अपने मृत परिजन की अस्थियां गंगा में विसर्जित कर सकेंगे। दरअसल, भारत में यात्रा पर प्रतिबंध के कारण, पाकिस्तान में कई हिंदू अपने रिश्तेदारों का अंतिम संस्कार करने के बाद राख को मंदिरों या श्मशान घाटों में रख देते हैं, ताकि मौका मिलनेे पर उन्हें गंगा में प्रवाहित किया जा सके। 400 से अधिक पाकिस्तानी हिंदुओं की अस्थियों को कराची के मंदिरों और श्मशान घाटों में रखा गया है। इनके परिवारों का कहना है कि हमारे पुरखों की चाहत थी कि मरने के बाद उन्हें अपनी जमीन नसीब हो। आखिरकार अब उनका सपना पूरा हो ही गया, उनकी आत्मा को शांति मिलेगी।
हिंदू सांसद रोमेश बोले- ये कदम जरूरी था
पाक के एक हिंदू सांसद रोमेश कुमार ने भास्कर से कहा कि हम इस फैसले का स्वागत करते हैं। ये कदम जरूरी था, क्योंकि यहां के सैंकड़ों हिंदू परिवारों को इस फैसले का इंतजार था। लोग इतने खुश हैं कि उन्हें इस फैसले पर यकीन नहीं हो रहा, वे मुझे फोन कर तसल्ली कर रहे हैं।
माइनॉरिटी राइट्स ग्रुप इंटरनेशनल के मुताबिक, पाक में कुल 19 लाख 60 हजार हिंदू आबादी है। इनमें से 96% हिंदू पाक के सिंध प्रांत में रहते हैं। यहां रहने वाले एक हिंदू डॉक्टर मोहन जोशी ने भास्कर को बताया कि पिछले साल मेरे पिता की मौत हो गई थी। उनकी आखिरी इच्छा यही थी कि उनकी अस्थियों को गंगा में बहाया जाए, ताकि आत्मा तृप्त हो सके। लेकिन हम ऐसा नहीं कर पाए, पर अब एक उम्मीद जगी है। ये फैसला स्वागत योग्य है।
आजादी के बाद महज 2 बार हिंदुओं की अस्थियां गंगा में विसर्जित हुईं
कराची में श्री पंचमुखी हनुमान मंदिर के संरक्षक रामनाथ ने कहा कि हम कई सालों से भारत सरकार से जो मांग कर रहे थे, वो आखिरकार पूरी हुई। आजादी के बाद केवल दो बार पाक के हिंदुओं अस्थियों को यहां से ले जाकर गंगा में विसर्जित की गई हैं। पहली बार मैंने भारत की यात्रा 2011 में की थी, मैं अपने साथ 135 अस्थियां ले गया था। इनमें दादा से लेकर पोते तक की अस्थियां थीं। इन्हें 64 साल बाद विसर्जित किया गया था। 2016 में भी 160 अस्थियों को हरिद्वार (गंगाजी) तक ले गया था।
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