भारत ने चीनी अधिकारियों के सामने वहां मेडिकल की पढ़ाई कर रहे भारतीय छात्रों की ट्रेनिंग का मामला उठाया। भारतीय अधिकारियों ने चीनी अधिकारियों से कहा कि वह यह सुनिश्चित करें कि जब वह अपना कोर्स पूरा कर लें तो भारत में प्रैक्टिस के लिए उनके पास सही पात्रता हो।
भारत ने चीन को उसके मेडिकल कॉलेजों में पढ़ रहे भारतीय छात्रों के लिए अपने देश में कामकाज की मंजूरी पाने के लिहाज से जरूरी नियमों की जानकारी दी है। कोविड संबंधी वीसा पाबंदियों के चलते करीब दो साल बाद चीन ने हाल में छात्रों की वापसी के लिए वीजा जारी करना शुरू किया है।
350 से ज्यादा छात्र चीन में अपने कॉलेजों में पढ़ाई के लिए भारत से लौट चुके हैं। आधिकारिक अनुमान के मुताबिक चीन में इस समय 23,000 से अधिक भारतीय छात्र रजिस्टर्ड हैं। वहीं भारतीय छात्रों को चीन के 45 कॉलेजों के अलावा अन्य प्रवेश नहीं लेने की सलाह दी गई है।
चीन में पढ़ाई न करने को लेकर जारी हुई थी चेतावनी
मार्च 2022 के आखिरी हफ्ते में जारी UGC की एडवायजरी में छात्रों से चीन में पढ़ाई के लिए न जाने की अपील की गई थी। साथ ही सरकार ने चीन से हासिल ऑनलाइन डिग्रियों की मान्यता रद्द कर दी थी। UGC ने कहा था कि चीन की कई यूनिवर्सिटीज ने आगामी एकेडेमिक ईयर के लिए विभिन्न डिग्रियों में एडमिशन के लिए नोटिस जारी करना शुरू किया है।
UGC के फैसले के बाद चीन से पढ़ाई कर रहे हजारों भारतीय मेडिकल छात्रों को डर था कि अगर उनकी पढ़ाई ऑनलाइन जारी रही तो प्रैक्टिल के अभाव में उनकी डिग्रियां अमान्य हो जाएंगी।
चीन ने 5 लाख स्टूडेंट्स का वीसा कैंसिल किया था
जो भारतीय छात्र 3 साल पहले चीन में पढ़ाई कर रहे थे, उनमें सिर्फ 1% छात्रों की वापसी की संभावना जताई गई थी। दरअसल, कोरोना फैलने के बाद चीन ने 5 लाख विदेशी छात्रों का वीसा सस्पेंड कर दिया था। अब अन्य देशों के छात्रों को वापस ले लिया, पर भारतीयों की वापसी नहीं करा रहा है।
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भारतीय छात्रों का भविष्य बर्बाद करने पर तुला चीन
कोरोना की वजह से घर लौटने को मजबूर हुए 20 हजार भारतीय छात्रों को चीन 3 साल से वापसी का वीसा नहीं दे रहा है। दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच मार्च में हुई सहमति के बावजूद चीन कई तरह के अड़ंगे लगाकर मामले को लटकाए हुए है। पढ़ें पूरी खबर...
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