ईरान ने 17 साल की लड़की का सिर काटकर सड़क पर हीरो की तरह घूमने वाले उसके पति को केवल 8 साल की सजा दी है। अदालत ने कहा- मारी गई लड़की का नाम मोना था। उसकी फैमिली ने अपने दामाद को माफ कर दिया है। लिहाजा, उसकी सजा कम कर दी गई है।
कानून के मुताबिक- ईरान में कत्ल की सजा मौत है। लेकिन इसमें कई दूसरे मुस्लिम देशों की तरह एक पेंच भी है। दरअसल, अगर मारे गए शख्स की फैमिली कातिल को माफ कर देती है तो उसकी सजा कम भी की जा सकती और यहां तक कि उसे माफी भी दे दी जाती है।
इस मामले में भी ऐसा ही हुआ। मारी गई लड़की मोना के परिवार ने अपनी बेटी के कातिल को माफ कर दिया। मोना की हत्या के मामले में उसके पति का भाई भी शामिल था। इसलिए उसे भी 45 महीने की सजा दी गई है।
12 साल की उम्र में शादी हुई थी
मृतक महिला मोना की केवल 12 साल की उम्र में ही आरोपी सज्जाद हैदरी के साथ शादी हो गई थी। BBC के मुताबिक 14 साल की उम्र तक उसे 2 बच्चे भी हो गए थे। सज्जाद हैदरी लगातार मोना के साथ घरेलू हिंसा करता था। उसे मारता-पीटता था। जिसके चलते मोना उससे काफी परेशान थी और अलग होना चाहती थी।
तलाक नहीं मिलने पर तुर्की भाग गई थी मोना
ईरान की लोकल मीडिया के मुताबिक मारपीट से परेशान मोना लगातार तलाक की मांग कर रही थी। जिसे सज्जाद हैदरी नकार रहा था। इससे परेशान होकर मोना ईरान छोड़कर तुर्की भाग गई थी। हालांकि, कुछ ही दिन बाद परिवार ने उसे वापस ईरान आने के लिए मजबूर कर दिया। मोना को परिवार के लोगों ने आश्वासन दिया गया था कि उसे कुछ नहीं होगा। उसे तलाक भी दिलवा दिया जाएगा।
पिछले साल सिर काटकर कर दी हत्या
परिवार के आश्वासन के बाद मोना पिछले साल यानी 2022 के फरवरी के महीने में वापस लौट आई। जिसके कुछ ही दिन बाद उसके पति ने उसका गला काटकर हत्या कर दी थी। मोना का सिर लेकर घूमते हुए उसके पति के वीडियो और फोटो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुए थे। जिसके बाद ईरान के लोगों ने घरेलू हिंसा के लिए सख्त कानून बनाने की मांग की थी।
संसद में भी बवाल मचा था
ईरान में महिला अधिकारों की आवाज कही जाने वाली वाइस प्रेसिडेंट एन्सी खजाली ने इस मामले को संसद में उठाया था। उन्होंने कहा था कि इस तरह की घटनाएं रोकने के लिए सख्त कानून बनाने होंगे और दोषियों को सजा देनी होगी। सोशल और मेन स्ट्रीम मीडिया में भी सख्त कानून बनाने की मांग की जा रही है।
ईरान के संविधान में ही दोष है। दरअसल, संविधान की धारा 630 में कहा गया है कि अगर कोई पति अपनी पत्नी को गलत कामों में देख लेता है तो उसे पत्नी के कत्ल का दोषी नहीं माना जाएगा। दूसरे शब्दों में संविधान ही कत्ल की मंजूरी देता है।
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