‘जिहादी ब्राइड’ को नागरिकता देने पर ब्रिटेन में सुनवाई:महिला ने खुद को तस्करी का शिकार बताया, भारत में भी उठ चुका मुद्दा

लंदन4 महीने पहले
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साल 2019 में आतंकी संगठन आईएसआईएस बेशक हार गया। लेकिन, उससे जुड़े कई मामले अब भी खत्म होने को तैयार नहीं है। ISIS में शामिल होने के बाद ब्रिटेन की नागरिकता गवां चुकी महिला शमिमा बेगम ने खुद के बेगुनाह होने का दावा किया है। उसने सोमवार को ब्रिटेन में एक याचिका दाखिल कर खुद को मानव तस्करी का शिकार बताया।

शमिमा ब्रिटेन की नागरिकता फिर से हासिल करने की लगातार कोशिश कर रही है। पिछले साल ब्रिटेन की सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर बने एक कमिशन ने उसकी नागरिकता के आवेदन को खारिज कर दिया था। इसके बाद उसने फिर से एक याचिका दायर की है। बेगम के वकील तसनिमें अकुंजी ने न्यूज एजेंसी AFP को बताया कि अब सारी सुनवाई इस पर केंद्रित होगी कि क्या वो मानव तस्करी का शिकार हुईं थी। जिसे नागरिकता छीनने से पहले ध्यान में नहीं रखा गया था।

ब्रिटेन के गेटविक एयरपोर्ट पर लगे CCTV कैमरों में यह तस्वीर 23 फरवरी 2015 को कैद हुई थी। इनमें बाएं से खादिजा सुल्ताना, शमीमा बेगम (बीच में) और अमीरा अबासे नजर आ रही हैं। IS में शामिल होने के लिए जाने से पहले ये इन तीनों की आखिरी तस्वीर थी।
ब्रिटेन के गेटविक एयरपोर्ट पर लगे CCTV कैमरों में यह तस्वीर 23 फरवरी 2015 को कैद हुई थी। इनमें बाएं से खादिजा सुल्ताना, शमीमा बेगम (बीच में) और अमीरा अबासे नजर आ रही हैं। IS में शामिल होने के लिए जाने से पहले ये इन तीनों की आखिरी तस्वीर थी।

मानव तस्करी का शिकार और ISIS ब्राइड होने के बीच में फंसा पेंच

शमीमा बेगम के मामले में दो मुख्य पक्ष हैं। एक में उन्हें आईएसआईएस के लिए काम करने वाली ब्राइ़ड के तौर पर देखा जा रहा है। वहीं दूसरी ओर उसे मानव तस्करी का शिकार माना जा रहा है। शमीमा के वकील ने साल 2021 में छपी एक किताब के आधार पर इसका दावा किया है। किताब में बताया गया है कि बेगम और उसके दोस्तों को कनाडा की सिक्योरिटी सर्विस के कहने पर सीरिया ले जाया गया था। उन्हें वहां ले जाने वाला व्यक्ति कनाडा को खुफिया जानकारी लीक कर रहा था।

युरोप से कई लड़कियों को बनाया था ISIS ‘ब्राइड’

इराक और सीरिया के कई इलाकों में अपने दबदबे के दौरान ISIS ने कई देशों में रह रही लड़कियों और महिलाओं को अपनी जिहादी लड़ाई में शामिल किया था। इन महिलाओं को पश्चिमी देशों में जिहादी ब्राइड्स कहा गया। एक रिपोर्ट के मुताबिक इस जिहादी संगठन में शामिल होने के लिए केवल ब्रिटेन से ही 900 लोग गए थे। इनमें से 150 लोगों की नागरिकता को ब्रिटेन ने खत्म कर दिया था। इनमें शमीमा बेगम जैसी महिलाएं भी शामिल हैं। साल 2019 में इस संगठन की हार के बाद से इन लोगों को वापिस नागरिकता देने पर विवाद होता रहा है। मानवाधिकार संगठन द्वारा न्यूज एजेंसी AFP को दी गई जानकारी के मुताबिक सीरिया के कैंपों में अभी भी ऐसे 20 से 25 ब्रिटिश परिवार फंसे हैं।

शमीमा ने 2019 में एक बेटे को जन्म दिया था। बाद में उसकी निमोनिया से मौत हो गई थी।
शमीमा ने 2019 में एक बेटे को जन्म दिया था। बाद में उसकी निमोनिया से मौत हो गई थी।

कौन हैं शमीमा बेगम?

बांग्लादेश मूल की ब्रिटिश नागरिक हैं। 2015 में अन्य दो लड़कियों के साथ आईएस में शामिल होने के लिए सीरिया गईं। बाकी दो लड़कियों का कोई अता-पता नहीं चल सका। शमीमा 2019 में सीरिया के एक रिफ्यूजी कैम्प में मिलीं। तब वे 9 माह की गर्भवती थीं। बच्चा हुआ तो उसकी निमोनिया से मौत हो गई। रिपोर्ट्स के मुताबिक, शमीमा के पहले भी दो बच्चे हुए थे, पर दोनों की मौत हो गई थी।

शमीमा पर आरोप है कि वो फिदायीन हमलावरों के लिए जैकेट बनाने में माहिर हैं, हालांकि वो इससे इनकार करती हैं।

भारत में भी उठ चुका है जिहादी ब्राइड्स का मुद्दा

अफगानिस्तान में फंसी आईएसएस में शामिल होने वाले कई भारतीयों की पत्नियां
अफगानिस्तान में फंसी आईएसएस में शामिल होने वाले कई भारतीयों की पत्नियां

दूसरे देशों की तरह जिहादी संगठन में शामिल होने के लिए भारत से भी कई लोग इराक और सीरिया गए थे। भारतीय सुरक्षा एजेंसी के मुताबिक साल 2018 तक, केरल के 98 महिला, पुरुष और बच्चे आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) में शामिल हो चुके थे। इनमें से कई लोगों की उसी समय युद्द के दौरान मौत हो गई थी। द हिंदू की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल भारत ने चार महिलाओं को अफगानिस्तान से वापिस लाने से मना कर दिया था। इन महिलाओं के पति जिहादी संगठन के लिए लड़ाई में मारे गए थे।