इजरायल कोरोना वैक्सीन की तीसरी डोज लगाने वाला पहला देश बन गया है। सोमवार से फाइजर-बायोएनटेक टीके की तीसरी डोज लगनी शुरू हुई। सरकार ने कोरोना के डेल्टा वैरिएंट के केस बढ़ने पर यह फैसला लिया है। इजरायल के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों को तीसरी डोज लगाई जा सकती है। इसके अलावा हृदय, फेफड़े, कैंसर और किडनी ट्रांसप्लांट कराने वाले लोगों को तीसरी डोज लग सकती है।
इजरायल में शेबा मेडिकल सेंटर के विशेषज्ञ प्रो. गालिया रहव ने कहा, ‘मौजूदा स्थिति में तीसरी डोज लगाने का फैसला उचित है। हम लगातार तीसरी डोज की उपयोगिता पर शोध कर रहे थे।’ एक महीने पहले डेल्टा वैरिएंट के रोज 10 से कम मरीज मिलते थे, जो अब 452 हो गए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार अभी देश के अस्पतालों में कोरोना के 81 मरीज भर्ती हैं।
इनमें से 58% कोरोना का टीका लगा चुके हैं। हालांकि, अध्ययनों से पता चलता है कि डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ कोरोना के टीके प्रभावी हैं। बता दें कि इजरायल में टीकाकरण अभियान की रफ्तार तेज रही है। यहां की 57.4% आबादी का पूर्ण टीकाकरण किया जा चुका है।
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अमेरिकी विशेषज्ञ कहते हैं- कमजोर इम्यून सिस्टम वालों को दे सकते हैं तीसरी डोज
इजरायल में वैक्सीन की तीसरी डोज देनी शुरू कर दी गई है। ब्रिटेन भी बूस्टर डोज देने की तैयारी कर रहा है। कुछ अन्य देशों में इस पर अध्ययन चल रहा है। कोरोना वैक्सीन के तीसरे डोज को बूस्टर डोज कहा जा रहा है। यह कितनी उपयोगी और कितनी जरूरी है। इसे लेकर अमेरिकी विशेषज्ञ क्या कहते हैं, आइए जानते हैं...
वैक्सीन की बूस्टर या तीसरी डोज का विचार कहां से आया?
सबसे पहले वैक्सीन निर्माता फाइजर-बायोएनटेक बूस्टर या तीसरे डोज का विचार लाए थे। वे पहले अमेरिका में इसके लिए मंजूरी चाहते थे। उनका दावा है कि वैक्सीन की तीसरी डोज डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ और ज्यादा प्रभावी साबित होगी।
कोरोना टीके की तीसरी डोज किन्हें दी जा सकती है?
कोरोना टीके की तीसरी डोज कमजोर इम्यून सिस्टम वाले वाले लोगों को दी जा सकती है। विशेषकर वे लोग जो हृदय, फेफड़े या कैंसर की बीमारी से पीड़ित हैं। विशेषज्ञ तीसरी डोज को लेकर अन्य गंभीर बीमारियों पर भी विचार कर रहे हैं।
तीसरी डोज कब दी जा सकती है?
फाइजर के मुताबिक दूसरी डोज के छह महीने बाद तीसरी डोज दी जा सकती है। यह डोज दूसरी डोज के बाद छह से 12 महीने के भीतर दी जानी चाहिए।
तीसरी डोज का क्या फायदा है?
यह मूल वायरस के साथ ही बीटा और डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ एंटीबॉडी बढ़ाती है, जो संक्रमण से लड़ने में सक्षम है।
क्या विशेषज्ञ इन दावों से सहमत हैं? क्या अभी अध्ययन की जरूरत है?
अमेरिका के कई सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि तीसरे डोज को लेकर फाइजर का दावा अवसरवादी और गैर जिम्मेदाराना है। इतनी जल्दी तीसरी डोज की उपयोगिता साबित नहीं की जा सकती। इसके लिए कई महीने के डेटा के अध्ययन की जरूरत होगी।
क्या तीसरी डोज बहुत जरूरी है?
विशेषज्ञों का कहना है कि तीसरी डोज लेना जरूरी नहीं है। वह भी ऐसे वक्त जब दुनिया के कई बड़े हिस्सों में टीकाकरण की दर बहुत कम है। साथ ही टीके की आपूर्ति सीमित है। धनी देशों के लोगों को अतिरिक्त डोज देना अदूरदर्शी है।
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