इटली की पहली दक्षिणपंथी प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी पद संभालने के महज दो हफ्तों के बाद ही विवादों में घिर गई हैं। विवादों की वजह मेलोनी की सरकार के फैसले हैं। मेलोनी ने पहले नाजी आर्मबैंड (स्वास्तिक निशान वाला) पहनने वाले नेता गलैजो बिग्नामी को मंत्री बनाया। इसके बाद उन्होंने कोरोना वैक्सीन नहीं लगवाने वाले डॉक्टरों पर लगी रोक हटा दी।
मेलोनी ने एक और फैसले में रेव जैसी पार्टियों पर रोक लगाने का कानून पास किया। इसके तहत रेव पार्टियों और उन सभाओं पर रोक लग सकेगी। सरकार का तर्क है कि इस कानून से रेव पार्टी और गैर-कानूनी डीजे म्यूजिक पार्टी पर रोक लगाई जाएगी और आयोजकों को तीन से छह साल की सजा दी जाएगी। ऐसे आयोजनों से नशे को बढ़ावा या यौन अपराध होने की आशंका बढ़ जाती है।
फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन को खतरा
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इन फैसलों ने संविधान में दिए गए नागरिकों के अधिकारों को खतरे में डाल दिया है। इस कानून की अस्पष्ट व्याख्या से इसकी आड़ में दूसरी सार्वजनिक सभाओं को रोका जा सकता है। इससे फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन को खतरा होगा और पब्लिक गैदरिंग नहीं गो पाएगी।
मेलोनी बड़े मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए ऐसे फैसले ले रहीं
लोगों का कहना है कि फैसले बड़े मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए लिए गए हैं। एक्सपर्ट फ्रांसिस्को कैंसेलाटो ने बताया कि मेलोनी की सबसे बड़ी समस्या ये है कि देश का खजाना खाली है। महंगाई बढ़ रही है और एनर्जी बिल कम करने के वादे भी पूरे नहीं हो रहे हैं। इसलिए मेलोनी विभाजनकारी एजेंडा चला रही हैं।
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इटली की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं जियॉर्जिया मेलोनी, अप्रवासियों-समलैंगिकों के विरोध पर मिला समर्थन
राइट विंग नेता जियॉर्जिया मेलोनी इटली की पहली महिला प्रधानमंत्री बनी। इसी के साथ इटली में ब्रदर्स ऑफ इटली पार्टी की नई सरकार का गठन हो गया है। चार साल पहले मात्र 4.13% वोट पाने वाली मेलोनी की पार्टी को इस बार 26% वोट मिले। पढ़ें पूरी खबर...
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